छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में मंगलवार दोपहर कलेक्ट्रेट में उस वक्त हंगामे की स्थिति बन गई जब तृतीय व चतुर्थ श्रेणी की नई नौकरियों व बैकलाग भर्ती में शत-प्रतिशत आरक्षण समेत 20 सूत्री मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे सर्व आदिवासी समाज के युवा कलेक्ट्रेट में घुस गए। गेट पर युवाओं को रोकने में सुरक्षाकर्मी विफल रहे। समाज प्रमुख भी समझाते रहे पर युवा नहीं माने और गेट धकेलकर भीतर प्रवेश कर लिया। इसके बाद परिसर के अंदर करीब एक घंटे तक जमकर नारेबाजी की जाती रही। उन्हें समझाने की बहुत कोशिश की गई पर युवा कुछ मांगों को तत्काल पूरा करवाने की जिद पर अड़े रहे। बाद में समाज प्रमुखों के समझाने के बाद मामला शांत हुआ और मुख्यमंत्री व राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपकर युवा लौट आए।
20 सूत्री मांगों को लेकर प्रदर्शन की घोषणा की गई थी। समाज के सदस्य रैली की शक्ल में मिनी स्टेडियम पहुंचे। यहां से तीन किमी पैदल चलकर समाज के लोग कलेक्ट्रेट का घेराव करने पहुंचे थे। इस दौरान युवा उग्र हो उठे और पुलिस अफसरों, कलेक्ट्रेट के सुरक्षाकर्मियों व समाज प्रमुखों की बात मानने से इंकार कर दिया। भारी संख्या में मौजूद सुरक्षाबल भी उन्हेें रोक नहीं पाए और वे गेट ठेलकर भीतर घुस गए। इससे अफरा तफरी की स्थिति बन गई।
बाद में बड़ी मुश्किल से हालात काबू में आए और युवा एसडीएम प्रीति दुर्गम को ज्ञापन सौंप लौटने पर राजी हुए। इसके बाद कलेक्टरोट से बाहर मैदान में सभा का आयोजन किया गया। यहां वक्ताओं ने सरकार के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली और साफ कर दिया कि उनकी मांगे पूरी न की गईं तो आंदोलन और उग्र होगा। इस प्रदर्शन में प्रमुख रूप से पोज्जाराम मरकाम, रामधर बघेल, संजय सोढ़ी, धनीराम बारसे, रामासोढ़ी, राजेश नाग, मंगलराम मांझी, डमरूराम बघेल समेत काफी संख्या में सर्व आदिवासी समाज के सदस्य मौजूद रहे।
यह हैं आदिवासी समाज की मांगें
मनरेगा की मजदूरी का तत्काल भुगतान कराया जाए, आदिवासियों के फर्जी प्रमाणपत्र पर सरकारी नौकरी कर रहे कर्मचारियों को तुरंत बर्खास्त किया जाए, जिले में जाति प्रमाण-पत्र की तरह मिसल, वंशावली रिकार्ड के आधार पर निवास प्रमाण-पत्र बनाया जाए, धर्म विशेष की ओर से आदिवासियों को बहला-फुसलाकर मतांतरण कराया जा रहा है। ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई हो, जिले में हजारों बेकसूर आदिवासियों को नक्सलियों के नाम पर जेल भेजा गया, उन्हे निष्पक्ष जांच कर रिहा किया जाए। एड़समेटा में मारे गए निर्दोष आदिवासी परिवारों को मुआवजा व नौकरी मिले, जिले में बेरोजगारों को भत्ता दिया जाए, आदिवासी जमीनों को खरीदने वाले गैर आदिवासियों पर कार्रवाई कर जमीनें वापस दिलाई जाएं। इसके अलावा कुछ अधिकारियों को हटाने की मांग भी की गई है।
सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष पोज्जाराम मरकाम ने कहा, सर्व आदिवासी समाज द्वारा राज्यपाल व मुख्यमंत्री के नाम पर 20 सूत्री मांगों का ज्ञापन दिया गया है। समय के भीतर मांगे पूरी नहीं की गई तो उग्र आंदोलन किया जाएगा जिसकी जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी।