Health Tips : आपके शरीर के चक्रों (body chakras)से जुड़ीं हुई कई बातों को सुना और पढ़ा होगा लेकिन क्या आप इन चक्रों के बारे में अच्छी तरह जान पाए हैं? आयुर्वेद और भारतीय पारंपरिक औषधि विज्ञान के अनुसार शरीर में सात चक्र होते हैं जिन्हें सप्तचक्र या ऊर्जा की कुंडली (Saptachakra or energy horoscope)भी कहते हैं। क्रमश: तीन चक्र भी किसी व्यक्ति में जाग्रत (awake in person)हों तो वह स्वस्थ कहलाता है। असल में हमारे शरीर में सात तरह के चक्र होते हैं, जिनका हमारी हेल्थ से सीधा कनेक्शन है। ये चक्र आत्मा, शरीर और स्वास्थ्य (body and health)के बीच संतुलन बैठाने का काम करते हैं। यह सुनिश्चित करता है कि पूरे शरीर में ऊर्जा (energy in the body)का एक जुड़ाव हो और समान रूप से प्रवाह हो। ये चक्र आपकी रीढ़ की हड्डी(spinal cord) के बिल्कुल सिरे से शुरू होते हैं और आपके सिर के ऊपर तक जाते हैं।
क्या आपको पता है चक्र क्या है?
चक्र शब्द का संस्कृत में शाब्दिक अर्थ है “पहिया” और हमारे शरीर में ऊर्जा के प्रवाह का प्रतीक है। आपके शरीर में मौजूद सात चक्र ऊर्जा केंद्र हैं और ये भावनाओं को नियंत्रित करने के लिए जाने जाते हैं। जब ये चक्र कभी भी असंतुलित हो जाते हैं, तो वे आपके शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। प्रत्येक चक्र एक शरीर के अंग और उसके कार्यों से जुड़ा हुआ है।
चक्रों का स्थान क्या है?
आपके शरीर में मौजूद 7 चक्रों के बारे में जानने से आपको पुराने से पुराने भावनात्मक और शारीरिक चोटों को ठीक करने में मदद मिल सकती है।
also read : Health Tips :गर्मियों में करना है यूरिक एसिड को कंट्रोल, तो सेवन करें इस खट्टा मीठा ड्रिंक का
चक्र और उसकी भूमिका
मूलाधार चक्र
मूल या जड़ चक्र शरीर का पहला चक्र है और रीढ़ के आधार में स्थित है। इसका काम आपके मन, शरीर और आत्मा को पृथ्वी से जोड़ना है। यह चक्र हमें धरती के करीब होने का अहसास कराता है। यह चक्र हमें जमीन से जोड़े रखने और पृथ्वी की ऊर्जा से जुड़े रहने के लिए प्रेरित करता है।
स्वाधिष्ठान चक्र
यह चक्र नाभि के ठीक नीचे स्थित है. यह चक्र लसीका तंत्र (lymphatic system) से जुड़ा है और भावनाओं को व्यक्त करने के लिए जिम्मेदार है। यह आपको यौन इच्छाओं या कामवासना के संपर्क में आने में भी मदद करता है।
मणिपुर चक्र
यह चक्र नाभि के ठीक पीछे रीढ़ की हड्डी पर स्थित होता है। यह चक्र ऊर्जा का सबसे बड़ा केंद्र है। यह चक्र आपके मन से जुड़ा होता है। यहीं से सारे शरीर में ऊर्जा का संचरण होता है। मन या शरीर पर पड़ने वाला प्रभाव सीधा मणिपुर चक्र पर पड़ता है।
अनाहत चक्र
ह्रदय के बीचों बीच रीढ़ की हड्डी पर स्थित चक्र को अनाहत चक्र कहा जाता है। आध्यात्मिक दृष्टि से यहीं से साधक के सतोगुण की शुरुआत होती है। व्यक्ति की भावनाएं और साधना की आंतरिक अनुभूतियां इस चक्र से जुड़ी हुई हैं।
विशुद्ध चक्र
विशुद्ध चक्र कंठ के ठीक पीछे स्थित चक्र है। इस चक्र के गड़बड़ होने से वैज्ञानिक रूप से थाइराइड जैसी समस्याएंं, गले और आवाज से जुड़ी बीमारियां हो सकती हैं।
आज्ञा चक्र
दोनों भौहों के बीच स्थित चक्र को आज्ञा चक्र कहा जाता है। इस चक्र पर मंत्र का आघात करने से शरीर के सारे चक्र नियंत्रित होते हैं। इसी चक्र पर ध्यान केंद्रित करने से मन मुक्त अवस्था में आ जाता है।
सहस्त्रार चक्र
मस्तिष्क के सबसे ऊपरी हिस्से पर जो चक्र स्थित होता है, उसे सहस्त्रार कहा जाता है। इस चक्र को जागृत करना इतना आसान नहीं है क्योंकि इसके लिए किसी योग्य गुरु की जरूरत पड़ती है। इस चक्र पर ध्यान केंद्रित करने पर आत्मा और शरीर दोनों मुक्ति की अवस्था में आ जाता है।