आज है ”वर्ल्ड पर्पल डे”। दुनिया भर में इस दिवस को मनाने के पीछे एक ही मकसद है, मिर्गी (Epilepsy) के प्रति लोगों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जागरूकता ( awarness)लाना, इसलिए आज के दिन यानी 26 मार्च ( march)को प्रत्येक वर्ष इस बीमारी के प्रति लोगों को अवेयर करने के लिए ”पर्पल डे” (Purple Day) के तौर पर मनाया जाता है। इसे (Epilepsy Awareness Day) भी कहते हैं।
वर्षीय कैनेडियन कैसिडी मेगन ने मिर्गी (Epilepsy) से जुड़े अपने संघर्षों से प्रेरित होकर वर्ष 2008 में ”पर्पल डे” मनाने को लेकर आइडिया डेवलप( idea devlop) किया, ताकि मिर्गी से जुड़े मिथकों को दूर किया जाए और इस बीमारी से पीड़ित लोगों को यह बताया जाए कि वे दुनिया में अकेले नहीं हैं। कैसिडी( casidy) ने इस बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करने का बीड़ा उठाया। 26 मार्च 2008 को पहली बार बैगनी दिवस यानी पर्पल डे (Purple Day) आयोजित किया गया। इस दिन लोगों को बैगनी रंग( purples day) लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
मिर्गी का इलाज (Epilepsy diseases)
आज भी गांव-देहात में रहने वाले लोग मिर्गी का इलाज करवाने के लिए झाड़-फूंक और ओझा, जादू टोना( tona) की मदद लेते हैं। इस कारण से यह रोग संपूर्ण रूप से ठीक नहीं होता है।
मिर्गी के लक्षण(Symptoms of Epilepsy)
शरीर का अकड़ना।
– आंखों के आगे अंधेरा छा जाना।
बेहोशी।
– मुंह से झाग आना।
– होंठ या जीभ काट लेना।
– आंखों की पुतलियों का ऊपर की तरफ खिंच जाना।
– अचानक से जमीन पर गिर जाना।
– दांत भिंचना।