लिखा है। उन्होंने पत्र के माध्यम से केंद्र के इस निर्णय से राज्यों को होने वाली हानियों पर चर्चा की है। मुख्यमंत्री ने उड़ीसा, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, गुजरात, झारखंड, राजस्थान, पंजाब, बिहार, पश्चिम बंगाल, हरियाणा, आंध्रप्रदेश, हैदराबाद, तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल, तेलंगाना और दिल्ली जैसे राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र भेजा है।
इस पत्र में ने 17 राज्यों के मुख्यमंत्रियों से केंद्र सरकार से क्षतिपूर्ति दस वर्ष तक जारी रखने का साझा आग्रह करने का अनुरोध किया है, ताकि राज्यों के राजस्व को भारी हानि होने से बचाया जा सके और जीएसटी क्षतिपूर्ति जारी रखने अन्यथा वैकल्पिक व्यवस्था बनाई जा सके।
जीएसटी मुआवजे पर चिंता
मुख्यमंत्री ने इसमें राज्यों के मुख्यमंत्रियों से चर्चा करते हुए तीन बिंदुओं में अपनी बात रखी है, जिसमें उन्होंने कहा है कि केंद्रीय वित्त मंत्री की अध्यक्षता में 29 दिसंबर, 2021 को नई दिल्ली में राज्यों के मुख्यमंत्रियों और वित्त मंत्रियों के साथ बजट-पूर्व बैठक में छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्यों ने जून 2022 में समाप्त होने वाले जीएसटी मुआवजे पर चिंता व्यक्त की थी और केंद्र सरकार से इसे और 5 साल के लिए बढ़ाने का अनुरोध किया, जबकि इस मामले में सभी राज्य केंद्र सरकार से सकारात्मक निर्णय की उम्मीद रखते हैं।
मुख्यमंत्री श्री @bhupeshbaghel ने 17 राज्यों के मुख्यमंत्रियों को लिखा पत्र।
▪️जीएसटी क्षतिपूर्ति जारी रखने केंद्र से साझा आग्रह करने का अनुरोध।
▪️श्री बघेल ने राज्यों को जीएसटी क्षतिपूर्ति बंद होने की हानियाँ गिनाते हुए कहा – केंद्र से एक साथ करें बात।#GST
— CMO Chhattisgarh (@ChhattisgarhCMO) March 28, 2022
राज्य को राजस्व नुकसान
दूसरे बिंदु में उन्होंने कहा है कि छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश जैसे मैन्युफैक्चरिंग राज्यों के लिए जीएसटी क्षतिपूर्ति नहीं मिलना एक बड़ा वित्तीय नुकसान होगा। वि-निर्माण राज्य होने के नाते, देश की अर्थव्यवस्था के विकास में हमारा योगदान उन राज्यों की तुलना में बहुत अधिक है, जिन्हें वस्तुओं और सेवाओं की अधिक खपत के कारण जीएसटी शासन से लाभ हुआ है। यदि जीएसटी क्षतिपूर्ति जून 2022 से आगे जारी नहीं रखा गया, तो छत्तीसगढ़ भारी राजस्व नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। आगामी वित्तीय वर्ष में लगभग 5,000 करोड़ का नुकसान हो सकता है। ठीक इसी तरह दूसरे राज्यों को भो आगामी वित्तीय वर्ष में राजस्व प्राप्तियां कम होगी। और राज्यों को इस समस्या से जनहित के कार्यों और विकास कार्यों के लिए पैसों की व्यवस्था करना बहुत कठिन हो जाएगा।
राजस्व का विकल्प नहीं
तीसरे बिंदु में बताया है कि जीएसटी व्यवस्था की शुरुआत के बाद टैक्स नीति पर राज्यों की स्वतंत्रता बहुत कम हो गई है। वाणिज्यिक टैक्स के अलावा, राज्यों के पास टैक्स राजस्व की अन्य मदों में राजस्व बढ़ाने के लिए विकल्प नहीं बचे हैं। इसलिए, अर्थव्यवस्था पर कोविड-19 के दुष्प्रभाव से उबरने के लिए और राज्यों को जीएसटी का यथोचित लाभ मिलने तक, राज्यों को केंद्र सरकार से अनुरोध करना चाहिए कि वह कम से कम अगले 5 के लिए जीएसटी की कमी के लिए क्षतिपूर्ति के मौजूदा तंत्र को जारी रखे। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने विश्वास जताया कि राज्य उनकी बात से सहमत होंगे और एक साथ इस मुद्दे पर केंद्र से सहमति का साझा अनुरोध करेंगे।