बस्तर सांसद दीपक बैज ने आज लोकसभा में नियम 377 के तहत बस्तर दंतेवाड़ा,बीजापुर,सुकमा जैसे नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के सैकड़ों गांव से पलायन हजारों आदिवासियों के विस्थापन का मामला उठाया।
सांसद श्री बैज ने कहा की मेरे लोकसभा में जिला बस्तर, बीजापुर,सुकमा, दंतेवाड़ा जैसे नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के सैकड़ों गांव से हजारों आदिवासी अपना घर छोड़कर अपने सीमावर्ती प्रदेश तेलंगाना और आंध्रप्रदेश पलायन कर गए थे।
लगभग 15-16 वर्ष पूर्व पलायन कर तेलंगाना एवं आंध्र प्रदेश में बसे आदिवासियों को अब यहां की सरकारें अपने राज्यों में कथित रूप से जबरिया निकाल रही है उनके घर तोड़े जा रहे हैं। यह आदिवासी भय के साए में जीने के लिए विवश है। इन आदिवासियों को फिर से पलायन हेतु बाध्य किया जा रहा है।
सांसद श्री बैज ने केंद्र सरकार के समक्ष बात रखते हुए कहा ऐसे परिस्थितियों को गंभीरता से लेते हुए छत्तीसगढ़ सरकार ने जिला प्रशासन की टीम गठित की है ताकि उन आदिवासियों को चिन्हांकित कर मदद किया जा सके।
बस्तर सांसद श्री दीपक बैज ने केंद्र सरकार से मांग करते हुए कहा पलायन किए गए आदिवासियों के पुनर्वास हेतु 2019-20 के मिजोरम से त्रिपुरा गए ब्रू आदिवासियों के पुनर्वास की तरह नीति बनाएं और जो आदिवासी जहां है वहां उन्हें रहने का अधिकार दे एवं वनाधिकार नियम 2006 के धारा 3.1.M के प्रावधानों के तहत आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में वन भूमि पर जहां जिस का कब्जा है
उन्हें उसका अधिकार दे जिस से पलायन कर आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना में बसे आदिवासियों का पुनः पलायन समस्या का समाधान हो सके और उनके भरण-पोषण के समक्ष दिक्कत ना आए। सांसद श्री बैज ने आगे बताया क्योंकि यह मामला तीन राज्य तेलंगाना आंध्र प्रदेश व छत्तीसगढ़ का है इसलिए केंद्र सरकार से मांग करते हुए सांसद दीपक बैज ने इस गंभीर मामले को तत्काल हस्तक्षेप कर विस्थापित आदिवासियों को न्याय दिलाने की मांग की।