नारायणपुर। जिले में रावघाट परियोजना के विरोध (protest against ravghat project) में हजारों ग्रामीणों ने कलेक्ट्रेट कार्यालय (collectorate office) का घेराव किया है। ग्रामीणों की भीड़ उग्र हो गई है। पुलिस के लगाए बैरिकेड्स को तोड़कर ग्रामीण कलेक्ट्रेट कार्यालय के अंदर घुस आए, जहां पर जमकर नारेबाजी भी की जा रही है। गुरुवार की दोपहर से ग्रामीणों का आंदोलन जारी है। फिलहाल पुलिस ग्रामीणों को रोकने में नाकाम साबित हुई है। भीड़ जब बैरिकेड्स तोड़ रही थी तो पुलिस ने ग्रामीणों पर लाठीचार्ज भी किया। जिससे ग्रामीण और आक्रोशित हो गए।
ग्रामीणों की मांग है कि रावघाट परियोजना को बंद कर दिया जाए। ग्रामीणों का कहना है कि, बिना ग्रामसभा की अनुमति के रावघाट से लौह अयस्क का उत्खनन शुरू कर दिया गया है। यह हमारा अयस्क है और कंपनी इसकी चोरी कर रही है। उत्खनन को लेकर किसी भी तरह की ग्राम सभा नहीं हुई है। 2 सप्ताह पहले BSP के कॉन्ट्रेक्टर देव माइनिंग कंपनी (Dev Mining Company) ने ट्रक से लौह अयस्क का परिवहन करना शुरू कर दिया था। जिसे इलाके के ग्रामीणों ने चोरी बताया और ट्रक को खोडगांव (Khodgaon) में ही खड़े करवा दिया था। जिसके बाद ट्रक से लौह अयस्क को खाली करवाया गया। ग्रामीणों का कहना है कि जब थाने में इस मामले के संबंध में FIR करवानी चाही तो पुलिस ने नहीं की।
सड़क पर नाका लगा बैठे थे ग्रामीण
ग्रामीणों का कहना है 4 जून 2009 में कंपनी को दी गई पर्यावरण स्वीकृति की कंडिका A(xxii) में रात के दौरान किसी भी ट्रक का इन सड़कों पर परिवहन सख्त प्रतिबंधित है। कंपनी ने पर्यावरण मंत्रालय को कई बार आश्वस्त किया है कि समस्त परिवहन दिन के समय ही होगा। इस गैर कानूनी परिवहन को रोकने के लिए ग्रामीणों ने सड़क पर नाका भी बना दिया है। आस-पास के कई गांवों के लोग विरोध के समर्थन में आए हैं। जिनमें मुख्य रूप से खोडगांव, खड़कागांव, बिंजली, परलभाट, खैराभाट समेत अन्य रावघाट खदान प्रभावित गांव हैं।
आरोप- धरना को बंद करने बना रहे थे दबाव
ग्रामीणों का आरोप है कि वे सड़क पर नाका लगाकर धरने पर बैठे थे। धरना को बंद करने पुलिस और कलेक्ट्रेट कार्यालय से अफसरों का लगातार दबाव आ रहा था। नक्सली केस में फंसाने की धमकी दी जा रही थी। दबाव के बाद भी जब ग्रामीण नहीं माने तो जनपद ऑफिस बुलाकर क्या चाहते हो, सब कुछ देंगे कहकर लुभाया जा रहा था। माइनिंग प्रभावित कुछ गांवों को सामुदायिक वन अधिकार पत्र भी मिला है। यह खनन परियोजना का सीधा उल्लंघन है। ग्रामीणों का कहना है कि रावघाट खनन परियोजना को बंद कर दिया जाए। जब तक मांग पूरी नहीं होगी आंदोलन करते रहेंगे।