Criminal procedure bill: लोकसभा (Lok Sabha)में सोमवार को दंड प्रक्रिया (शिनाख्त) विधेयक (Criminal Procedure (Identification) Bill )2022 पारित हो गया। बिल में किसी सज़ायाफ्ता (convicted)या आरोपी व्यक्ति की पहचान के लिए उसके जैविक सैम्पल, फिंगर प्रिंट, फुट प्रिंट(Biological Samples, Finger Prints, Foot Prints) आदि के सैंपल को लिए जाने का प्रावधान है जिससे कि अपराधियों को सजा दिलाने में मदद मिले और जल्द से जल्द मामलों का निपटारा हो। इस बिल को गृहमंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah)के जवाब के बाद पास कर दिया गया। अब बिल को राज्यसभा (Rajya Sabha)भेजा जाएगा। बिल पर लोकसभा में ज़ोरदार बहस हुई। विपक्ष ने बिल को मूल अधिकारों और मानवाधिकार(human rights)के खिलाफ बताया।
विपक्ष ने इस बिल को लेकर कई सवाल खड़े किए थे और मांग की थी कि इस बिल को स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजा जाना चाहिए। अमित शाह ने कहा कि जो लोग यह कह रहे हैं कि इससे मानवाधिकारों को हनन होगा उन्हें यह भी सोचना चाहिए कि रेप पीड़िताओं के भी मानवाधिकार होते हैं। इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि बिल किसी दुरुपयोग के लिए नहीं लाया गया है। किसी भी डेटा के दुरुपयोग की संभावना नहीं। उन्होंने कहा कि जो लोग मानव अधिकारों की चिंता कर रहे हैं वह उन लोगों के भी मानवाधिकारों के चिंता करें जो पीड़ित होते हैं।
also read : Raipur News : दवा कारोबारी के घर हुई डकैती, सोने-चांदी के जेवरात, नकदी और दुपहिया बाइक लेकर डकैत हुए फरार
अमित शाह ने कहा, “यह बिल कानून के मुताबिक चलने वाले लोगों के मानवाधिकारों की रक्षा करता है। लोग कह रहे हैं कि यह जल्दी क्यों आ गया, मेरा कहना है कि इतनी देर हो गई।” उन्होंने कहा कि मानवाधिकारों का हवाला देने वालों को भी रेप पीड़ितों के मानवाधिकारों के बारे में सोचना चाहिए। वे (विपक्ष) केवल बलात्कारियों, लुटेरों की चिंता करते हैं, लेकिन केंद्र कानून का पालन करने वाले नागरिकों के मानवाधिकारों की चिंता करता है।
75 सालों तक सुरक्षित रहेंगे आंकड़े
बता दें कि लोकसभा ने जो बिल पास किया है उसके तहत सजायाफ्ता या फिर किसी भी आरोप में गिरफ्तार व्यक्ति के शरीर की मांप ली जा सकेगी, इसमे व्यक्ति का फिंगर प्रिंट, आंखों की आयरिश का नमूना, ब्लड, हस्ताक्षर आदि शामिल है। मजिस्ट्रेट के आदेश पर यह नमूने लिए जा सकेंगे।
ये नमूने सिर्फ थानाध्यक्ष, हेड कॉन्स्टेबल और जेल के हेड क्वार्टर या फिर उच्च अधिकारी ही ले सकेंगे। इन आंकड़ों को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की होगी। इस बिल के पास होने के बाद 75 सालों तक लोगों के नमूनों को सुरक्षित रखा जाएगा। लेकिन सजा खत्म होने के बाद इस डेटा को पहले भी खत्म किया जा सकता है।
चर्चा के सदन में कुछ हल्के-फुल्के पल भी देखने को मिले। जब बिल पर चर्चा की शुरुआत में अमित शाह अपनी बात रख रहे थे तब टीएमसी के सांसद ने उनसे कहा कि अमित शाह जिस अंदाज में बात करते हैं उससे डर लगता है। इसपर अमित शाह ने तपाक से जवाब देते हुए कहा कि वो कभी डराते नहीं बल्कि उनकी आवाज़ थोड़ी ऊंची है। अमित शाह ने मजाकिया अंदाज़ में कहा कि उनमें मैन्यूफैक्चरिंग डिफैक्ट है।