चुनावों के खत्म होने के बाद देश में पेट्रोल-डीजल का मुद्दा फिर से चर्चा का विषय बन चुका है. लगातार बढ़ती कीमतों से लोग परेशान हैं. पिछले करीब 16 दिनों में 14वीं बार बुधवार को पेट्रोलियम कंपनियों (Petroleum Companies) ने तेल की कीमतों में 80 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी की है. ऐसे में लोगों के मन में एक सवाल है कि रोजाना 80 पैसे की ही बढ़ोतरी क्यों हो रही है. ऐसे में हमने इस सवाल का हल ढूंढ लिया है.
आसमान छू रहीं तेल की कीमतें
लगातार हो रही बढ़ोतरी के कारण दिल्ली में पेट्रोल 105 रुपये प्रति लीटर है तो वहीं मुंबई में पेट्रोल की कीमतें 118 रुपये प्रति लीटर के आंकड़े को पार कर चुकी हैं. आपको बता दें कि पिछले 16 दिनों में सिर्फ दो दिन 24 मार्च और एक अप्रैल को ऐसा हुआ है कि तेल की कीमतों में बढ़ोतरी नहीं हुई है. इसके अलावा हर रोज तेल के दामों में बढ़ोतरी की गई है. वहीं डीजल की बात करें तो इसकी कीमत 96.60 रुपये प्रति लीटर हो गई है.
धीरे-धीरे बढ़ा बोझ
गौरतलब है कि देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतें 4 नवंबर 2021 के बाद से 21 मार्च 2022 तक स्थिर रहीं थीं. कीमतों में बंपर बढ़ोतरी 22 मार्च से शुरू हुई, जो धीरे-धीरे देश की आम जनता पर बोझ बन रही है. इसके चलते प्रतिदिन लॉजिस्टिक्स की कीमतों पर भी दबाव बढ़ने लगा है जिससे आम आदमी की थाली पर भी महंगाई की सीधा असर देखने को मिल रहा है.
80 पैसे ही क्यों बढ़ रहे दाम?
अब आपको बताते हैं कि पेट्रोल-डीजल की कीमतें आखिर 80 पैसे की दर से ही क्यों बढ़ रही हैं और इसमें एक बार में ही उचित बढ़ोतरी क्यों नहीं की जा रही है. हमारी सहयोगी वेबसाइट DNA में छपी एक खबर के अनुसार इसका जवाब दरअसल एक गाइडलाइन में छिपा है. पेट्रोल-डीजल की कीमतों में वृद्धि करने को लेकर तेल कंपनियों के पास पहले एक सर्कुलर आया था. इसमें हिदायत दी गई थी इनकी कीमतों में अधिकतम बढ़ोतरी 1 रुपये तक ही की जा सकती है. ऐसे में कंपनियों ने इसकी बढ़ोतरी की अधिकतम राशि 80 पैसे प्रति लीटर तय की है. यही कारण है कि पेट्रोल-डीजल की अधिकतम वृद्धि 80 पैसे तक ही हुई है.