भारत का संविधान(indian constitution ) इसे अन्य देशों से अलग बनाता है। यह संविधान ही है जो हर नागरिक के अधिकारों की रक्षा करता है तो वहीं एक नागरिक के तौर पर उनके कर्तव्यों को सुनिश्चित करता है। इसी भारतीय संविधान के निर्माता के तौर पर डॉक्टर भीमराव अंबेडकर मशहूर हैं। बाबा साहेब अंबेडकर की संविधान के निर्माण में भूमिका अतुल्य है। कई लोगों ने इस बाबत तमाम दलीलें दीं लेकिन डाॅ. अंबेडकर(ambedkar ) के योगदान और भूमिका को भारतीय संविधान में नकारा नहीं जा सकता है।
read more : RRR Worldwide Box Office: राजामौली की आरआरआर 1000 करोड़ के बेहद करीब, जानें- दो हफ्तों का नेट कलेक्शन
देश की आजादी के बाद भारतीय संविधान सभा का गठन हुआ। संविधान सभा में कुल 379 सदस्य थे, जिसमें 15 महिलाएं थीं। संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. भीमराव अंबेडकर(dr bhimrao ambedkar ) थे।
भीमराव अंबेडकर का जीवन परिचय(life )
डाॅ. भीमराव अंबेडकर का जन्म मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव महू में 14 अप्रैल 1891 में हुआ था। हालांकि उनका परिवार मूल रूप से रत्नागिरी जिले से ताल्लुक रखता था। अंबेडकर(ambedkar ) के पिता का नाम रामजी मालोजी सकपाल था, वहीं उनकी माता भीमाबाई थीं। डॉ. अंबेडकर महार जाति के थे। ऐसे में उन्हें बचपन से ही भेदभाव का सामना करना पड़ा।
बाबा साहेब की पढाई (Doctorate degree)
लंदन में पढ़ाई के दौरान उनकी स्कॉलरशिप खत्म होने के बाद वह स्वदेश वापस आ गए और यहीं मुंबई के सिडनेम कॉलेज में प्रोफेसर के तौर पर नौकरी करने लगे। 1923 में उन्होंने एक शोध पूरा किया था, जिसके लिए उन्हें लंदन यूनिवर्सिटी ने डॉक्टर ऑफ साइंस की उपाधि दी थी। बाद में साल 1927 में अंबेडकर ने कोलंबिया यूनिवर्सिटी(colombia university ) से भी पीएचडी पूरी की