कोरोना महामारी के दो साल बाद राजधानी में हनुमान जन्मोत्सव का उल्लास सुबह से रात तक छाया रहा। माता अंजनी के लाल और श्रीराम भक्त हनुमान की भक्ति में राजधानीवासी ऐसे डूबे कि प्रसिद्ध ऐतिहासिक मंदिरों से लेकर गली-मोहल्लों के छोटे-छोटे मंदिरों में भी भक्तिभाव छाया रहा। अष्ट सिद्धि, नव निधि के दाता हनुमान की प्रतिमा का ब्रह्म मुहूर्त में दूध, जल से अभिषेक किया गया। इसके पश्चात चमेली का तेल, सिंदूर का लेपन करके चांदी के बर्क से श्रृंगार और फिर शास्त्रोक्त विधि से मंत्रोच्चार करके पूजन किया गया। कहीं सुबह तो कहीं दोपहर 12 बजे और कहीं शाम को भव्य महाआरती में श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ पड़ा।
ऐतिहासिक मंदिरों में ब्रह्म मुहूर्त में अभिषेक
पुरानी बस्ती स्थित बावली वाले हनुमान मंदिर में सुबह ब्रह्म मुहूर्त में पं.मोहन पाठक के सान्निध्य में अभिषेक किया गया। मंदिर के पुजारी पं. मोहन पाठक ने बताया कि पुरानी बस्ती की बावड़ी से तीन प्रतिमाएं निकलीं थीं, जिनमें एक वहीं पर, दूसरी दूधाधारी मठ और तीसरी गुढ़ियारी में प्रतिष्ठापित है। गुढ़ियारी मंदिर में भी ब्रह्म मुहूर्त में अभिषेक, श्रृंगार पूजा की गई। इसके बाद शोभायात्रा निकाली गई, जो गुढ़ियारी पड़ाव से होकर वापस मंदिर पहुंची। श्रद्धालु भगवा झंडा हाथों में लहराते, जयकारे लगाते हुए उत्साह से शामिल हुए।
साढ़ेसाती से मुक्ति पाने 108 पाठ
ऐसी मान्यता है कि हनुमान जन्मोत्सव पर विधिवत पूजा, पाठ करने से शनि के प्रकोप से मुक्ति मिलती है। शनिवार को हनुमान जन्मोत्सव का शुभ संयोग होने से श्रद्धालुओं ने शनि की साढ़ेसाती, अढैया से मुक्ति पाने के लिए 11, 21, 51 और 108 बार हनुमान चालीसा की चौपाइयों जय हनुमान ज्ञान गुण सागर, जय कपीश तिहुँ लोक उजागर,का गान करके सभी तरह के संकट से छुटकारा दिलाने और सुख शांति की कामना की।