प्रबंधको के वेतन में 6 वर्षों से एक रुपये की भी नही हुई वृद्धि
सेवा नियम लगाया, किंतु आज तक नही किया अमल
दंतेवाड़ा ऑफिस डेस्क। 34 वर्षों से नियितिकरण की आस देख रहे प्राथमिक लघूवनोपज सहकारी समिति के प्रबंधक 11 अप्रैल से अनिश्चित कालीन हड़ताल पर हैं। प्रबंधकों के हड़ताल पर जाने से तेंदूपत्ता, लघूवनोपज संग्रहण, ग्रामीणों के बीमा योजना संबंधी जनता से जुड़े अनेक कार्य प्रभावित हो रहे हैं। कांग्रेस की सरकार द्वारा जन घोषणा पत्र में प्रबंधकों को तृतीय वर्ग कर्मचारी का दर्जा देकर नियितिकरण करने का वादा किया था। किंतु 3 वर्ष बीतने के बाद भी इस पर कोई निर्णय नही किया गया। सिर्फ आश्वासन ही दिया जा रहा है। जिससे प्रबंधको में सरकार के ढीले रवैया के चलते काफी रोष देखा जा रहा है। और छत्तीसगढ़ राज्य प्रबंधक संघ ने अनिश्चित कालीन हड़ताल का निर्णय लिया।
12 अपैल से शुरू होना था तेंदूपत्ता संग्रहण
प्रदेश में बस्तर में सबसे पहले शुरू होता है तेंदूपत्ता संग्रहण। जिसके चलते हर वर्ष 12 अपैल के लगभग तेंदूपत्ता संग्रहण शुरू किया जाता है। किंतु प्रबंधको के हड़ताल के चलते तेंदूपत्ता फड़ो पर तैयार तो हो गए हैं किंतु तोड़े नही जा रहे। सिर्फ दंतेवाड़ा में ही हर वर्ष 10 करोड़ का तेंदूपत्ता संग्रहण किया जाता है। किंतु अगर 2-4 दिन और संग्रहण नही किया गया तो पत्ता पूर्ण रूप से तोड़ने योग्य नही रहेगा। जिससे गरीब ग्रामीणों को काफी नुकशान होगा।
योजनाओं से वंचित होंगे किशान यदि समय से तेंदूपत्ता संग्रहण नही किया गया तो सरकार की वीभन्न योजनाओं से भी ग्रामीणों को हांथ धोना पड़ेगा। क्योंकि सरकार का ही नियम है बीमा योजनाएं, छात्रवृत्ति योजनाएं, संघ के चुनाव लड़ने या किसी भी तेंदूपत्ता योजना का लाभ लेने संग्राहकों को कम से कम 500 गड्डी तेंदूपत्ता संग्रहण करना अनिवार्य है।
छत्तीसगढ़ लघुवनोपजो के संग्रहण में पूरे देश मे नंबर एक है। कोई भी राज्य हमारे आस-पाए भी नही है। जिसका सबसे बड़ा कारण लघुवनोपज संघ के 901 प्रबंधक हैं। जिनकी महेनत के कारण ही प्रदेश आज इन बुलंदियों पर पहुँच सका है। लघुवनोपजो के संग्रहण में प्रदेश सरकार को वर्ष 2020-21 में कुल 13 राष्ट्रीय अवार्ड भी मिले। फिर भी सरकार एवं अधिकारियों द्वारा विगत 34 वर्षो से प्रबंधको का सिर्फ शोषण ही किया जा रहा है और छला जा रहा है। जिसका साफ उदाहरण ये है कि जन घोषणा पत्र में प्रबंधको के नियमितीकरण का वादा किया वो अब तक सिर्फ चुनावी जुमला ही निकला, प्रबंधकों के वेतन में 6 वर्षो से एक भी रुपये की वृद्धि नही, 5 वर्ष पहले सेवा नियम बनाया गया, पर आज तक लागू नहीं, वेतन बढ़ाने राज्य संचालक मंडल ने प्रस्ताव बनाया उसे तक लागू नही किया गया।
6 वर्षो से वेतन में नही हुई वृद्धि
प्रबंधको के साथ राज्य सरकार के दोहरे मापदंड और शोषण की हद इतनी बढ़ गई है कि विगत 6 वर्षों से प्रबंधकों का एक भी रुपये वेतन में वृद्धि नही की गई है। आज देश मे महंगाई जहां चरम सीमा पार कर चुकी है, वही प्रबंधको के साथ इस तरह दुर्व्यवहार एवं निंदनीय है।
प्रबंधकों ने राज्य सरकार को दिलाये थे 13 नेशनल अवार्ड
प्रबंधको के ही कड़ी महेनत का नतीजा था जिसके कारण वर्ष 2020-21 में न्यून्तम समर्थन मूल्य योजना अंतर्गत वनोपजों के संग्रहण एवं विपडन हेतु राज्य शाशन को 13 राष्ट्रीय अवार्ड मीले थे। जिससे पूरे राज्य में खुशी की लहर है। इस वर्ष भी विगत वर्षों से ज्यादा वनोपज संग्रहण का लक्ष्य राज्य शाशन द्वारा रक्खा गया है। किंतु प्रबंधको का विगत 34 वर्षों से हो रहे शोषण के चलते इस वर्ष लघु वनोपज के संग्रहण में कमी आ सकती है।
हाथ में गंगाजल का कसम खाकर बनाया था जनघोषणा पत्र
कांग्रेस सरकार ने गंगाजल की कसम खाकर जनघोषणा पत्र बनाया था जिसमे प्रबंधकों को तृतीय वर्ग कर्मचारियों का दर्जा देकर नियमितीकरण की बात की गई थी। किंतु 3 वर्षो से अधिक होने के बाद भी आज तक उसपर कोई निर्णय नही हो सका।