कांग्रेस पार्टी के सूत्रों का कहना है कि चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (पीके) के जल्द ही कांग्रेस में शामिल होने की संभावना है। दो हफ्ते में तीसरी बार सोनिया गांधी के साथ उनकी बैठक में फैसला लिया जाएगा। खबर है कि प्रशांत किशोर बिना किसी शर्त कांग्रेस में शामिल तो होना ही चाहते हैं, इसके अलावा कांग्रेस के नए अवतार के लिए पीके ने कांग्रेस 2.0 की रणनीति तैयार की है। उनकी रणनीति का खुलासा तो नहीं हुआ लेकिन सूत्रों का कहना है कि पीके की नई रणनीति में कांग्रेस का नया अवतार होना तय है।
पिछले हफ्ते सोनिया गांधी समेत कांग्रेस के दिग्गज नेताओं के साथ प्रशांत किशोर पहली बैठक हुई थी। जिसमें कांग्रेस के लिए एक पुनरुद्धार योजना और राज्यों के साथ-साथ आगामी चुनाव जीतने की रणनीति की रूपरेखा प्रस्तुत की गई। खासकर साल 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर पीके काफी गंभीर है।
अपनी पहली प्रस्तुति को पीके कांग्रेस के चुनिंदा नेताओं के बीच रख चुके हैं। उन योजनाओं पर राहुल गांधी ने भी सहमति जताई है। सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस आलाकमान ने पीके को लेकर पार्टी के दिग्गज नेताओं से चर्चा भी की है।
पीके का कांग्रेस 2.0 प्लान
प्रशांत किशोर की कांग्रेस 2.0 योजना का खुलासा नहीं हुआ। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, सूत्रों का कहना है कि यह साल 2024 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के बारे में है। अपने प्रेजेंटेशन में पीके ने वर्षवार पार्टी के बड़े पतन के कारणों को सूचीबद्ध किया है, खासकर 1984 से 2019 तक।
-जनता के लिए एक नई कांग्रेस का निर्माण।
-पार्टी के मूल्यों और मूल सिद्धांतों की रक्षा करना।
-चाटुकारिता की भावना को नष्ट करना।
-गठबंधन की पहेली को सुलझाना।
-भाई-भतीजावाद का मुकाबला करने के लिए ‘एक परिवार, एक टिकट’ फॉर्मूला।
-सभी स्तरों पर चुनाव के माध्यम से संगठनात्मक निकायों का पुनर्गठन।
-कांग्रेस अध्यक्ष और कांग्रेस कार्यसमिति सहित सभी पदों के लिए निश्चित कार्यकाल।
-15,000 जमीनी स्तर के नेताओं को पहचानें और सार्थक रूप से जोड़ें और पूरे भारत में 1 करोड़ जमीनी कार्यकर्ताओं को सक्रिय करना।
पीके पर क्या है कांग्रेस नेताओं की राय
प्रशांत किशोर के कांग्रेस में शामिल होने की खबरों पर कांग्रेस नेताओं की अलग-अलग राय है। कुछ नेताओं का कहना है कि पीके के पार्टी में शामिल होने से पार्टी को बल मिलेगा और पार्टी आगामी चुनौतियों से अच्छी तरह से निपटेगी। वहीं, कुछ नेताओं का पीके को लेकर अलग नजरिया है। बुधवार को राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने कहा था, ” प्रशांत किशोर सिर्फ नाम बड़ा हो गया है, उनके जैसे और भी हैं। वो मोदी जी के साथ थे, नीतीश जी के साथ थे। कांग्रेस के साथ भी रहे। वो इतने बड़े हो गए हैं इसलिए न्यूज हो गए हैं। ऐसा नहीं है पहली बार हो रहा है। पीके का नाम बढ़ा हो गया है इसलिए चर्चा में आ गए हैं। अगर उनका अनुभव काम आता है विपक्ष को एकजुट करने में, तो निश्चित ही विचार किया जाएगा।”