Raipur News : प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर (Dhananjay Singh Thakur)ने कहा है कि आंकाक्षी जिलों (aspirational districts)के दौरा में आये केन्द्रीय मंत्री ज्योतिराज सिंधिया (Jyotiraj Scindia)को भाजपा नेताओं के आदत के अनुसार कुपोषण (malnutrition)के मामले में झूठ बोलकर निकल गये। केन्द्रीय मंत्री ज्योतिराज सिंधिया(Union Minister Jyotiraj Scindia) का दौरा से आंकाक्षी जिले की जनता को निराशा हुयी। रमन सरकार के दौरान छत्तीसगढ़ में 37.7 प्रतिशत बच्चे कुपोषण के दायरे में एवं 47 प्रतिशत महिलाये एनीमिया से पीड़ित थे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel)सरकार के द्वारा बच्चों को सुपोषित करने शुरू किये गये मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान, मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लीनिक योजना सकारात्मक परिणाम मिला। 3 साल में 32 प्रतिशत बच्चे सुपोषित( children well nourished)हुये। कुपोषण के मामले में राज्य राष्ट्रीय कुपोषण दर से काफी कम है। 2019 में प्रदेश में 4 लाख 33 हजार बच्चे कुपोषित चिन्हाकिंत किये गये थे। जिसमें से एक लाख 70 हजार बच्चे कुपोषण मुक्त(malnutrition free) मुक्त हुए हैं। छत्तीसगढ़ में कुपोषण की दर राष्ट्रीय औसत (National average)से भी कम है। राज्य में कुपोषण दर अब 19.86 प्रतिशत रह गई है। छत्तीसगढ़ में 2 अक्टूबर 2019 से शुरू हुए मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान (Chief Minister Nutrition Campaign)के चलते एक लाख 70 हजार बच्चे कुपोषण मुक्त हुए हैं।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा है कि राष्ट्रीय सर्वे एजेंसी नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 के आंकड़ों के अनुसार भी छत्तीसगढ़ में कुपोषण की दर में कमी आई है। कुपोषण का राष्ट्रीय औसत 32.1 प्रतिशत है, जबकि छत्तीसगढ़ में कुपोषण 31.3 प्रतिशत है। राष्ट्रीय सर्वे एजेंसी नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4 वर्ष 2015-16 के अनुसार छत्तीसगढ़ में कुपोषण की दर 37.7 प्रतिशत थी, जबकि उस समय राष्ट्रीय औसत दर 35.8 प्रतिशत थी। एनएफएचएस-5 के सर्वे रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ राज्य में कुपोषण की दर में 6.4 प्रतिशत गिरावट आई है और यह दर मात्र 31.3 रह गई है। राष्ट्रीय सर्वे एजेंसी नेशनल फैमिली हेल्थ के रिपोर्ट से यह बात स्पष्ट रूप से सामने आई है कि छत्तीसगढ़ राज्य में बच्चों के पोषण स्तर पर ध्यान देने के बहुत सकारात्मक नतीजे सामने आए हैं। छत्तीसगढ़ में बच्चों में कुपोषण का स्तर गुजरात, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, असम, कर्नाटक, झारखण्ड, बिहार आदि राज्यों से कम है।