गरियाबंद पुलिस ने सड़क दुर्घटनाओं में मौत में कमी लाने को ‘मिशन जीवन रक्षक’ योजना शुरू की (Gariaband Police Mission Jeevan Rakshak Yojana ) है. इस योजना के तहत चिन्हांकित अधिक दुर्घटना वाले स्थलों के आसपास बसे गांवो के युवाओं को योजना से जोड़ा जायेगा. ऐसे प्रत्येक गांव से 5-5 युवाओं का चयन कर उन्हें प्रशिक्षित किया गया. युवाओं के फोन नंबर अधिक दुर्घटना वाले क्षेत्र में बोर्ड लगया जाएगा एवं उनके गाँव में नाम व नम्बर चस्पाँ करवाया जाएगा, ताकि जरूरत पड़ने पर युवाओं की तत्काल मदद की जा सके, प्रशिक्षित युवाओं का काम तत्काल घटनास्थल पर पहुंचकर घायलों को प्रथमिक उपचार देते हुए पुलिस या संजीविनी वाहन के माध्यम से अस्पताल पहुंचाना और घटना के बारे में पुलिस को सूचित करना होगा.
एसपी जेआर ठाकुर ने आज डॉक्टरो की टीम के साथ आज फ़ारेस्ट के आक्संन हाल में मिशन जीवन रक्षा प्रशिक्षण ग्रमीनो को दिया गया जहाँ पर ज़िला अस्पताल से आए डॉक्टर द्वारा दुर्घटना में घायल व्यक्तियों के प्रति बरतने वाली सावधनियान के साथ उनका उपचार किए जाने की जानकारी डेमो के माध्यम से दिया गया.
वही कार्यक्रम के प्रारंभ में पुलिस अधीक्षक जेआर ठाकुर ने परक्षिण में आए सदस्यों को सम्बोधित करते हुए कहा की इस प्रशिक्षण का मुख्य उदेश्य हर दुर्घटना ग्रस्त व्यक्ति तक पहुँचना है और उसकी जान बचना है, इसके लिए आज ग्रामीनो को प्रशिक्षण दिया जा रहा है एवं उन व्यक्तियों का उनके निवास स्थान और आस पास के क्षेत्र में बोर्ड लगाकर नाम और नम्बर चस्पा किया जाएगा ताकि उनका नम्बर आपातकालिन स्थिति में मौक़े पर मौजूद लोगों को उनका नम्बर मिल जाए और परीक्षित लोगों को बुलाया जा सके
गुड सेमेरिटन एक ऐसा व्यक्ति है, जो सद्भावपूर्वक, भुगतान या पुरस्कार की अपेक्षा के बिना और देखभाल या विशेष संबंध के किसी भी कर्तव्य के बिना, स्वेच्छा से किसी दुर्घटना, या दुर्घटना में घायल व्यक्ति को तत्काल सहायता या आपातकालीन देखभाल प्रदान करने के लिए आगे आता है, या आपातकालीन चिकित्सा स्थिति, या आपातकालीन स्थिति।
गुड सेमेरिटन कानून किसी व्यक्ति को भुगतान या इनाम की उम्मीद के बिना और देखभाल या विशेष संबंध के किसी भी कर्तव्य के बिना, दुर्घटना, या दुर्घटना, या आपातकालीन चिकित्सा स्थिति में घायल व्यक्ति को तत्काल सहायता या आपातकालीन देखभाल करने के लिए स्वेच्छा से आगे आने की अनुमति देता है। गुड सेमेरिटन कानून सड़क दुर्घटना पीड़ितों के जीवन को बचाने के लिए उनके द्वारा की जा रही कार्रवाइयों पर उत्पीड़न से गुड सेमेरिटन की रक्षा करता है।
भारत बड़ी संख्या में सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों का दुर्भाग्यपूर्ण शिकार है। देश में चार में से तीन लोग पुलिस उत्पीड़न, अस्पतालों में हिरासत और लंबी कानूनी औपचारिकताओं के डर से सड़क पर घायल हुए दुर्घटना पीड़ितों की मदद करने से हिचकिचाते हैं। अगर कोई मदद करना भी चाहता है, तो भी ये कारक उसे ऐसा करने से रोकते हैं।
पिछले दस वर्षों में, भारत में सड़क दुर्घटनाओं में 13 लाख से अधिक लोग मारे गए हैं। भारत के विधि आयोग के अनुसार, इनमें से 50% पीड़ितों की मृत्यु रोके जा सकने वाली चोटों के कारण हुई और यदि उन्हें समय पर देखभाल मिल जाती तो उन्हें बचाया जा सकता था। पीड़ित को आपातकालीन देखभाल प्रदान करने में बाईस्टैंडर की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। फिर भी, भारत में, कानूनी नतीजों और प्रक्रियात्मक बाधाओं के डर से, दर्शक घायलों की मदद करने से हिचकिचाते रहे हैं।
2012 में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की गई थी, जिसमें माननीय अदालत से घायलों की मदद के लिए आगे आने वाले अच्छे लोगों की रक्षा करने का अनुरोध किया गया था।
सड़क दुर्घटनाओं ने अकेले भारत में 200,000 से अधिक लोगों के जीवन का दावा किया और लगभग 3% जीडीपी के आर्थिक नुकसान में योगदान दिया। भारतीय सड़कों पर और लगभग 4.07 LAC पर हर घंटे 17 लोगों की मौत होती है।
रिपोर्टों के अनुसार, लगभग 50 प्रतिशत सड़क दुर्घटनाएं नहीं होतीं, यदि पहले घंटे के भीतर चिकित्सा ध्यान दिया जाता। एक अच्छे सामरी बनें और इस संख्या को कम करने में हमारी मदद करें।
हम किसी के जीवन को बचाने का संकल्प लेते हैं और एक अच्छा नागरिक होने के नाते इसे अपने नैतिक कर्तव्य के रूप में लेते हैं।
कार्यक्रम में उपस्थित रहे पुलिस कप्तान जे॰आर॰ ठाकुर अतिरिक्त पुलिस चंद्रेश सिंह ठाकुर एसडीओपी पुष्पेंद्र नायक डीएसपी निशा सिन्हा गरियाबंद थाना प्रभारी सत्येंद्र सिंह श्याम देवभोग थाना प्रभारी बसंत बघेल एसआई सचिन गुमास्ता एएसआई अजय सिंग उपस्थित रहे