Raipur News : रमज़ान (Ramadan)का पवित्र महीना इस बार चिलचिलाती धुप (scorching sun)और 40 से 45 डिग्री तापमान के बीच आया है. इस बार किसी के लिए भी रोज़ा रखना आसान नहीं रहा है. इस गर्मी और धुप में रोज़ा रखना किसी बड़े काम को अंजाम देने जैसा रहा है. मगर जहाँ यह रोज़े बड़े बड़ों को भारी पढ़ रहे है, वहीँ एक 5 वर्ष के नन्हे से बालक मोहम्मद नायाब अली (Mohd Nayab Ali)ने ये रोज़ा रख कर बड़े बड़ों को अपना मुरीद बना लिया है.
मुस्लिम मान्यता के अनुसार रमज़ान के इस महीने में अकीदत मन मुस्लमान पुरे एक महीने रोज़े रखते है. इस वक़्त वह न खाना खाते है और नाही पानी पीते है, और ये पूरा महीना वह अल्लाह की इबादत में रहते है. रमजान के इस महीने में कुछ रोज़ों का महत्व बोहोत ज्यादा होता है, ऐसा ही एक रोज़ा है 27वा रोज़ा जिसे महीने का सबसे बड़ा रोज़ा माना जाता है. इस बार यह रोज़ा अलविदा जुमा के दिन पड़ा है, अलविदा जुमा रमजान महीने के अंतिम जुमा को कहा जाता है. मोहम्मद नायाब अली ने यही बड़ा रोज़ा रख कर दिखाया है. साथ ही उसने अनुपम नगर मस्जिद रायपुर में जुमे की नमाज़ भी अदा की है.
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नायब के इस रोज़ा रखने से उनके घरवाले बेहद खुश है
नायाब की दादी बताती है की नायाब ने रोज़ा ऐसा रखा जैसा उसे कुछ हुआ ही नहीं हो, आम दिनों की तरह उसका रेहान सेहन रहा, उसे न भूक लगी नाही उसे पानी की शिद्दत महसूस हुई. आपको यह बताना भी ज़रूरी है की नायाब की छोटी बेहन 3 वर्षीय एलिज़ा फातिमा ने भी अपने भाई का साथ देने की कोशिश की और उसने भी आधे दिन तक रोज़े की हालत में रही. मगर उम्र कम होने की वजह से वह मुकम्मल रोज़ा नहीं रख पायी .नायाब की माँ बताती है की नायाब को पुलिस बनने का शौक है उसे शहर का 1 दिन का एस एस पी भी तत्कालीन एस एस पी अजय यादव सर के द्वारा बनाया गया था. जब उसे ये बताया जाता है की पुलिस वाले बहोत शक्तिशाली और सहनशील होते है, वह कोई भी काम आसानी से कर लेते है तो नायाब ने अपनी भी वैसी ही सोच राखी हुई है. जब हम बात कर रहे थे की 27वा रोज़ा इस बार अलविदा जुमा के साथ आ रहा है और इसका बहोत महत्व है तो उसने खुद ही रोज़ा रखने की इक्छा ज़ाहिर की और उसने रोज़ा मुकम्मल रखा भी .
नायाब के इस जज़्बे को देख कर बड़े बड़े सोचने पर मजबूर है की जब एक 5 वर्षीय बच्चा रोज़ा इतनी आसानी से रख सकता है तो हम क्यों नहीं. अल्लाह नन्हे नायाब को इस रोज़े के बदले खूब तरक्की और कामयाबी दे ऐसी दुआ हम भी करते है.