काेलकाता : टोल टैक्स वसूलने के लिए सरकार द्वारा लागू किया गया फास्ट टैग सिस्टम जल्द ही बंद हो सकता है। सूत्रों की माने तो सरकार इस सिस्टम को बंद कर नया सिस्टम लाने की तैयारी कर रही है। इस नये सिस्टम का नाम सेटेलाइट नेविगेशन सिस्टम बताया जा रहा है जो फास्ट टैग सिस्टम से काफी अलग होगा।
यह सिस्टम कब तक आयेगा फिलहाल इस बारे में आधिकारिक स्तर पर कुछ नहीं कहा गया है। इतना जरूर है कि टोल पर टैक्स वसूली के मामले में इस नये सिस्टम को फास्ट टैग से अधिक कारगर माना जा रहा है। सूत्रों की माने तो नए टोल सिस्टम की फिलहाल पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर टेस्टिंग चल रही है।
ऐसी होगी नेविगेशन सिस्टम की खासियत
इस नेविगेशन सिस्टम के तहत उतना ही टोल काटा जाएगा जितना यात्री हाइवे पर दूरी तय करेगा। इस सिस्टम में जैसे ही कोई गाड़ी हाइवे पर चढ़ेगी, उसके टोल का मीटर ऑन हो जाएगा। इसके बाद जब गाड़ी हाइवे से किसी सामान्य रोड पर उतरेगी तो तय दूरी के हिसाब से नेविगेशन सिस्टम से टोल कट जाएगा। जर्मनी समेत दुनिया के कई देशों में इसी सिस्टम के तहत टोल टैक्स वसूला जाता है।
फास्ट टैग सिस्टम में टैक्स लेने की प्रक्रिया
फास्ट टैग सिस्टम के तहत अगर गाड़ी हाइवे पर चढ़ती है तो जो भी टोल प्लाजा आता है, उस पर टोल टैक्स देना पड़ता है और वह टोल भी अगले टोल प्लाजा तक का वसूला जाता है। ऐसे में अगर कोई व्यक्ति अगले टोल प्लाजा से आधी दूरी ही तय करता है तो भी उसे पूरा टोल देना पड़ता है जिसकी वजह से यात्री को कभी-कभार टोल टैक्स महंगा पड़ता है।
97 फीसदी वाहनों में लगा है फास्ट टैग
जानकारी के अनुसार अभी देश में 97 फीसदी वाहनों में फास्ट टैग लगाया गया है जिसके जरिए टोल वसूला जाता है। सूत्रों की माने तो नया सिस्टम लागू करने के लिए सरकार को ट्रांसपोर्ट पॉलिसी में कुछ बदलाव करने पड़ेंगे।
शुरू किया गया पायलट प्रोजेक्ट
जानकारी के अनुसार टोल टैक्स मामले में चालू होने वाले नये सिस्टम को लागू करने के लिए जो पायलट प्रोजेक्ट लाया गया है उसमें करीब 1.37 लाख वाहनों को कवर किया गया है। इस प्रोजेक्ट पर रूस और दक्षिण कोरिया के एक्सपर्ट एक स्टडी रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। अगर यह कारगर साबित होता है तो सरकार इस नये सिस्टम को लाने का निर्णय लेगी।