“सरकार ने धरना, प्रदर्शन, आंदोलन, सार्वजनिक आयोजन के संबंध में जारी निर्देश वे प्रदेश में पहले से लागू हैं।”
बीजापुर ऑफिस डेस्क :- सरकार ने धरना, प्रदर्शन, आंदोलन, सार्वजनिक आयोजन के संबंध में जो निर्देश जारी किये है वह नये नहीं है इस प्रदेश में पहले से लागू है। पिछले कुछ दशकों से लागू है, पूर्ववर्ती रमन सरकार के समय से लागू है। आयोजनों के दौरान शांति एवं व्यवस्था बनाये रखने के लिये पूर्ववत बने नियमों के पालन की ही बात इस निर्देश में है।
जो नियम भारतीय जनता पार्टी के शासन काल में लागू थे जिस सरकार में महेश गागड़ा खुद मंत्री थे और जिसका 15 साल तक स्वयं भाजपा की रमन सरकार से पालन करवाती थी, उन्हीं नियमों के संबंध में जारी किये गये निर्देश अलोक-तांत्रिक कैसे हो गये?
जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष लालू राठौर ने कहा कि धरना, प्रदर्शन के लिये अनुमति देने शर्तें लगाने का अधिकार पुलिस को भाजपा की रमन सरकार ने दिया था, पूर्ववर्ती रमन सरकार के द्वारा बनाये गये छत्तीसगढ़ पुलिस अधिनियम 2007 के धारा 34 में सभाओं, जुलूस एवं परिसरों के विनियमन के तहत पुलिस को यह कानून व्यवस्था के लिये धरना प्रदर्शन, आंदोलन, आयोजन की अनुमति के लिये यह अधिकार दिया गया है कि वह शर्तों के साथ अनुमति नियम भी भाजपा ने बनाया 15 साल पालन भी किया और अब विरोध भी कर रहे यह है भाजपा का दोहरा चरित्र।
लालू राठौर ने कहा कि भाजपा जिस नियमों के पालन के जारी निर्देश पर सवाल खड़ा कर आंदोलन की बातें कर जनता में भ्रम फैला रही है, वैसे ही उन नियमों को खुद रमन सरकार के द्वारा पालन करवाया जाता था, राजनैतिक, सामाजिक, कर्मचारी वर्ग के द्वारा धरना प्रदर्शन के लिये जो अनुमति दी गयी है उसको उन्हीं नियमों शर्तों के साथ दी गयी है।
जो 22.04.2022 को हमारी सरकार के द्वारा जारी निर्देश में है, जो नियम यूपी में लागू है, जो नियम दिल्ली में लागू है, जो नियम गुजरात में लागू है, लगभग देशभर में लागू है उसी नियम के लिये छत्तीसगढ़ में जारी निर्देश पर भाजपाई बेशर्मीपूर्वक आंदोलन की बात कर रहे हैं।