एतिहासिक बस्तर हाई स्कूल के नाम को लेकर
बस्तर हाई स्कूल महारा समाज ने एक महिने के अंदर बस्तर हाई स्कूल का नाम बदल कर जगतू महारा के नाम पर किए जाने की चेतावनी दी थी। मगर इस चेतावनी की समय सीमा गुजर चुकी है मगर फिर भी यह नाम नही बदला गया है। ज्ञात हो इस आशय की घोषणा सरकार कर चुकी है कि बस्तर हाई स्कूल अब जगतु महारा के नाम से जाना जाएगा । राजनीतिक जानकार बताते हैं कि महारा समाज के वोटरों को लुभाने की गरज से सरकार ने यह घोषणा की है लेकिन अभी भी यह स्कूल बस्तर हाई स्कूल के नाम पर ही है। ज्ञात हो लगभग सौ साल पुराने इस स्कूल का आत्मानंद में बदलने की मंशा से चर्चा में आया और कुछ समय बाद इसे एक धरोहर के रूप में मानकर इसके मूल रूप को नहीं बदले की बात भी आधिकारिक तौर पर कही गई ।
इधर महारा समाज के पदाधिकारियों ने बकायदा पत्रवार्ता कर सरकार को जल्द ही इस स्कूल का नाम बदलने की चेतावनी दी थी । और एक महिने का अल्टीमेटम दिया था। इस बारे में समाज के बिंचम पोंदी ने स्थानीय अखबार को बताया कि नाम बदले जाने तक हम यह लड़ाई जारी रखेंगे।
कौन है जगतु महारा?
अंचल के इतिहास कार रूद्रनारायण पानीग्राही की किताब हैरिटेज वॉक (Heritage Walk ) में बताया गया है कि बस्तर महाराजा दलपत देव (1731-1775) में बस्तर बीहड़ जगलों और जंगली जानवरों से भरा था। उस जमाने में वर्तमान जगदलपुर एक कबीले के तौर पर जाना जाता था जिसका सरदार जगतु था। उसने महाराजा से गुहार लगाई कि उसके कबीले को खतरनाक जानवरों से मुक्त करा दें । महाराजा ने उसकी बात मानी और बस्तर आकर जंगली जानवरों से मुक्त किया और महाराजा को यह जगह बहुत भा गई और यहीं बस गए। लिहाजा जगतु का जग और दलपत देव का दल शब्द से जगदलपुर बना ।