काशी विश्वनाथ मंदिर से सटी ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वेक्षण और कोर्ट कमिश्नर बदलने को लेकर दायर याचिका पर गुरुवार को वाराणसी की अदालत ने फैसला सुना दिया। फैसला सुनाते समय सिविल जज रवि कुमार दिवाकर ने जिला प्रशासन की भूमिका को कटघरे में खड़ा किया। उन्होंने इस दौरान कई ऐसी बातें अपनी फैसले में लिखी हैं जो बताती हैं कि जिले के अधिकारियों ने अपनी भूमिका का निर्वहन ठीक से नहीं किया। कई पन्नों के फैसले के दूसरे पेज पर उन्होंने लिखा कि ज्ञानवापी को लेकर डर का माहौल बनाया जा रहा है। डर इतना है कि मेरे परिवार को भी मेरी चिंता हो गई है।
फैसले में उन्होंने लिखा कि यह कमीशन कार्यवाही एक सामान्य प्रक्रिया है। अधिकतर सिविल वादों में सामान्यतः कोर्ट कमीशन की प्रक्रिया कराई जाती है। शायद ही कभी कोर्ट कमिश्नर पर सवाल खड़ा किया गया हो। इस साधारण से सिविल वाद को बहुत आसाधरण बनाकर एक डर का माहौल पैदा कर दिया गया है। डर इतना है कि मेरे परिवार को बराबर मेरी और मुझे अपने परिवार की चिंता बनी रहती है। घर से बाहर रहने पर बार-बार पत्नी को मेरी सुरक्षा की चिंता बनी रहती है। कल लखनऊ में माता जी ने भी मेरी सुरक्षा को लेकर चिंता व्यक्त की। मीडिया की खबरों से उन्हें जानकारी हुई कि शायद मैं भी कमिश्नर के रूप में मौके पर जा रहा हूं। मां ने मुझे मौके पर कमीशन के रूप में जाने से मना किया। मां ने भी कहा कि इससे मेरी सुरक्षा को खतरा हो सकता है।
कोर्ट ने फैसले में लिखा कि कोर्ट कमिश्नर ने अभी आंशिक रूप से कमीशन की कार्यवाही की गई है। इस लिए कोर्ट कमिश्नर पर सवाल उठाना ठीक नहीं है। जिला प्रशासन व पुलिस के अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कोर्ट ने नाराजगी भी जताई। आदेश में कहा कि यदि मौके पर मस्जिद के अंदर प्रवेश करने के दौरान पुलिस व प्रशासन का सहयोग मिला होता तो आज सर्वे की कार्रवाई पूरी हो गई होती। अदालत ने सुनवाई के दौरान जिला प्रशासन व पुलिस आयुक्त की ओर से कोई एफिडेविट नहीं देने पर नाराजगी जताई। वहीं, वादी व विपक्ष के अधिवक्ताओं वह पक्षकारों की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। सुरक्षा के लिए पुलिस के जवानों की तैनाती की गई है।