पृथ्वी की उत्पत्ति से लेकर वर्तमाल काल तक, यहां अनगिनत जीव-जंतुओं का भंडार मौजूद है। वहीं समय के साथ कुछ जीव-जंतु पृथ्वी से विलुप्त भी हो जाते हैं।डायनॉसोर इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। इसी मुद्दे पर लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए हर साल मई के तीसरे शुक्रवार को राष्ट्रीय लुप्तप्राय प्रजाति दिवस मनाया जाता है।
बेशक पृथ्वी से लुप्त हो रहे जीव-जतुंओं का संरक्षण एक गंभीर मुद्दा है। हालांकि, दुनिया का बड़ा वर्ग अभी भी इस समस्या( problem) से पूरी तरह अनभिज्ञ है। ऐसे में राष्ट्रीय लुप्तप्राय प्रजाति दिवस पर दुनिया के अलग-अलग कोनों में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों के जरिए लोगों को लुप्त हो रही प्रजातियों के प्रति जागरुक कराया जाता है।
जानते है इतिहास ( history)
सबसे पहले 1960 के दशक में लोगों ने धरती से लगातार लुप्त हो रही कई प्रजातियों पर ध्यान केंद्रित करना शुरू किया। जिसके बाद 1972 में पहली बार अमेरिका( america) में लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण के लिए कानून अस्तित्व में आया। वहीं तेजी से बढ़ती ग्लोबल वॉर्मिंग और क्लाइमेट चेंज के मद्देनजर संयुक्त राष्ट्र संघ ने साल 2006 में मई के तीसरे शुक्रवार को लुप्तप्राय प्रजाति दिवस के रूप में मनाने का एलान किया।