Covid-19 vs Monkeypox: कोरोना वायरस महामारी के बीच एक्सपर्ट्स ने एक नई वायरल बीमारी को लेकर चिंता जताई है, जो इस वक्त दुनिया के कई हिस्सों में तबाही मचा रही है। जी हां, हम बात कर रहे हैं मंकीपॉक्स की। अभी तक, दुनियाभर में इसके 100 से ज़्यादा मामले सामने आ चुके हैं। WHO ने भी इस बीमारी को हल्के में न लेने की चेतावनी दी है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा, “यह स्थिति लगातार बढ़ती दिख रही है और ऐसा लग रहा है कि मंकीपॉक्स के मामले बढ़ेंगे, जैसे-जैसे नॉन-एंडेमिक देशों में इस बीमारी को लेकर निगरानी बढ़ाई जा रही है।” इसकी जांच जारी है, हालांकि, रिपोर्ट किए गए मामलों में अब तक कोई स्थापित यात्रा लिंक नहीं देखा गया है। अभी तक प्रकोप से जुड़ी कोई मौत रिपोर्ट नहीं की गई है।
SARs-CoV-2 वायरस की तुलना में, विशेषज्ञों का मानना है कि हमारे पास इस बीमारी को हाथ से निकलने से पहले रोकने और इसका इलाज करने के लिए अधिक संसाधन और उपकरण हैं। तो आइए समझते हैं कि यह दो संक्रमण एक दूसरे से कैसे अलग हैं।
Covid-19 vs Monkeypox: इनका कारण क्या है?
कोरोना वायरस रोग या कोविड-19 गंभीर तीव्र श्वसन सिंड्रोम कोरोना वायरस 2 (SARS-CoV-2) के कारण होता है। जबकि, मंकीपॉक्स पॉक्सविरिडे परिवार में ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस से जुड़ा है। मंकीपॉक्स, आमतौर पर मध्य और पश्चिम अफ्रीका में जंगली जानवरों के बीच फैलने और प्रसारित होने वाली बीमारी है। यह मनुष्यों में तब फैलती है जब वे संक्रमित जानवरों के संपर्क में आते हैं।
मंकीपॉक्स कैसे फैलता है?
इस बीमारी का नाम मंकीपॉक्स साल 1958 में रखा गया था ,जब इस वायरस का बंदरों की एक कॉलोनी में पता चला था, जिसका उपयोग रिसर्च के लिए किया जाता था। यह मनुष्यों में भी हो सकता है और फिर दूसरे लोगों में भी फैल सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन बताता है कि शारीरिक तरल पदार्थ, त्वचा पर घाव, या मुंह या गले में श्लेष्मा सतहों के साथ निकट संपर्क के माध्यम से यह एक व्यक्ति से दूसरे में फैल सकता है।