रायपुर। एक वक्त था जब छत्तीसगढ़ी फिल्मों को मल्टीप्लैक्स में दिखाने के लिए कलाकारों ने आवाज उठाई थी और एक आज का वक्त है जब हमारे राज्य की फिल्में पूरे देश भर में दिखाई जाएगी. 27 मई को देश भर में छ्त्तीसगढ़ी फिल्मों का दबदबा देखने को मिलेगा. जम्मू-दिल्ली सहित देशभर की 100 स्क्रीन में छत्तीसगढ़ी फिल्म ‘भूलन द मेज़’ रिलीज होने जा रही है. बता दें कि मूवी छत्तीसगढ़ी और हिंदी मिक्स लैंग्वेज में है. इंग्लिश के सब टाइटल के साथ इसे रिलीज किया जा रहा है.
छत्तीसगढ़ी फिल्मी कलाकारों ने किया था जेल भरो आंदोलन
ये पहला मौका है जब कोई छत्तीसगढ़ी फिल्म देशभर में देखी जाएगी. इससे पहले तक छत्तीसगढ़ में ही यही की फिल्म मल्टीप्लैक्स में नही लगती थी. तब कलाकारों ने आवाज उठाते हुए जेल भरो आंदोलन तक कर दिया था. कही न कही मेहनत रंग लाई और छत्तीसगढ़ फिल्मों को बड़े से बड़े स्क्रीन मल्टीप्लैक्स PVR, INOX में भी लोग देखने लगे और आज मुंबई, कोलकाता, दिल्ली, भोपाल, पुणे, बेंगलुरु, नागपुर, चंडीगढ़, जम्मू कश्मीर और कटक सहित देशभर में देखी जाएगी.
‘भूलन द मेज़’ की Scripting में लगे ढाई साल
फिल्म की स्क्रिपटिंग में ढाई साल लग गया और फिल्म की शूटिंग मात्र 34 दिन में हो गई. फिल्म की शूटिंग गरियाबंद के घने जंगलों में की गई है. टाइटल सॉन्ग कैलाश खेर ने गाया है, जिसे काफी पसंद किया जा रहा है. 67वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में रीजनल सिनेमा कैटेगिरी में ‘भूलन द मेज़’ को बेस्ट फिल्म का अवॉर्ड भी मिला है.
‘Bhulan the Maze’ की कहानी न्याय व्यवस्था पर आधारित
2 घंटे 10 मिनट की मूवी में न्याय व्यवस्था पर तंज कसा गया है. यह फिल्म संजीव बक्शी के उपन्यास ‘भूलन कांदा’ पर बनी है. यह उपन्यास छत्तीसगढ़ में भूलन कांदा नाम का एक पौधे पर आधारित है. ऐसी मान्यता है कि उस पर पैर रखते ही इंसान सुध-बुध खो बैठता है, रास्ता भटक जाता है. किसी दूसरे व्यक्ति के छूने पर ही व्यक्ति की याद्दाश्त लौटती है. मूवी ये सवाल खड़ा करती है कि क्या न्याय व्यवस्था का पैर भी भूलन कांदा पर पड़ गया है, क्या न्याय व्यवस्था को भी स्पर्श कर जगाने की जरूरत है ?