कोरोना महामारी अभी खत्म नहीं हुई है और दुनिया के कई देशों में मंकी पॉक्स ने सनसनी फैला दी है। यूरोपीय संघ की रोग एजेंसी का कहना है कि 20 देशों में फैल चुके मंकी पॉक्स के अभी तक 219 मामलों की पुष्टि हो चुकी है। डब्ल्यूएचओ के बयान से यूरोपीय देशों की धड़कन और बढ़ गई है क्योंकि संगठन ने चेताया है कि आने वाले दिनों में इसके मामले और बढ़ सकते हैं। दूसरी ओर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन कह चुके हैं कि कोरोना महामारी की तरह मंकी पॉक्स महामारी साबित नहीं होगा। लेकिन WHO ने इस मामले में चुप्पी साधी हुई है।
1970 को सबसे पहले मंकी पॉक्स का दुनिया में पहला मानव मामला आया है। आम बोलचाल की भाषा में चेचक और मंकी पॉक्स चचेरे भाई हैं। इस साल एक बार फिर मंकी पॉक्स ने यूरोपीय और अफ्रीकी देशों में दस्तक दे दी है। यह अभी तक पश्चिमी और मध्य अफ्रीका के 11 देशों समेत 20 देशों में पैर पसार चुका है। इस वक्त भारत के लिहाज से इसकी अच्छी बात यह है कि देश में इसका एक भी मामला सामने नहीं आया है।
कोरोना की तरह महामारी फैलाएगा मंकी पॉक्स
साल 2020 में दुनिया ने पहली बार कोरोना महामारी का नाम सुना और एक ही साल के भीतर यह पूरी दुनिया में महामारी बनकर उभरा। करोड़ों की संख्या में लोगों को मार चुका कोरोना अभी तक पूरी तरह दुनिया से खत्म नहीं हुआ है। इस बीच मंकी पॉक्स की दस्तक के साथ ही दुनिया के सामने एक और परेशानी खड़ी हो गई है। मंकी पॉक्स अमेरिका, ब्रिटेन जैसे विकसित देशों में भी पैर पसार चुका है। हालांकि अमेरिका स्वास्थ्य विशेषज्ञों का दावा है कि इस बीमारी के महामारी होने की आशंका बेहद कम है क्योंकि यह कोरोना जितना संक्रामक नहीं है।
भारत में एक भी केस नहीं, पर नजर चौकस
आईसीएमआर की वैज्ञानिक डॉ अपर्णा मुखर्जी ने कहा भारत इस संक्रमण के लिए तैयार है, क्योंकि यह यूरोप, अमेरिका और अन्य नॉन-इंडेमिक देशों में तेजी से फैल रहा है। हालांकि, भारत में अब तक कोई मामला रिपोर्ट नहीं किया गया है।’
असामान्य लक्षणों पर कड़ी नजर
अपर्णा मुखर्जी ने असामान्य लक्षणों पर कड़ी नजर रखने पर जोर दिया, खासकर उन लोगों के लिए जिनका मंकी पॉक्स प्रभावित देशों से यात्रा का इतिहास है। डॉ मुखर्जी ने कहा, हमें तेज बुखार, बड़े लिम्फ नोड्स, शरीर में दर्द, चकत्ते आदि जैसे असामान्य लक्षणों पर नजर रखना चाहिए, खासकर वो लोग जो मंकी पॉक्स प्रभावित देशों की यात्रा किए हैं।
संक्रमण से बचने के उपाय?
डॉ मुखर्जी ने कहा कि जिन लोगों में लक्षण दिखते हैं, वे या तो उनमें से निकलने वाले तरल पदार्थ के जरिए सैंपलों का टेस्ट करवा सकते हैं। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी इन वायरसों की टेस्टिंग के लिए रजिस्टर्ड लैंब हैं। उन्होंने आगे कहा कि लोगों को घबराना नहीं चाहिए और उन लोगों के साथ क्लोज कॉन्टैक्ट से बचना चाहिए जो पहले में मंकी पॉक्स से संक्रमित हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि आमतौर पर मंकी पॉक्स का संक्रमण बहुत निकट संपर्क होने से फैलता है। इसके लिए निर्धारित दिशानिर्देश हैं जिसे पहले ही प्रकाशित किया जा चुका है।