2017 के बाद से नहीं हुई इसकी गणना
जगदलपुर/ जंगलों में पाई जाने वाली पहाड़ी मैना का अस्तित्व खतरे में है। वन विभाग और संरक्षणकर्त के साथ मिलकर इसके अस्तितव को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। गहरा कालारंग रारंगी चोंच और पीले रंग के पैर और कलगी वाली इस खूबसूरत पक्षी की खूबी यह है कि यह हूबहू इंसान की आवाज नकल कर सकती है। जिसे देखने प्रतिवर्ष लोग जिला मुख्यालय जगदलपुर आते है। यह इंसानों से दूर अपना रैन बसेरा बनाना पंसद करती है। ज्ञात हो कि इस पक्षी को 2002 में राजकीय पक्ष़्ाी का दर्जा दिया गया था । यह पक्षी आज अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। जानकार बताते है। कि इसकी खूबियां ही बनी है इसके विनाश का कारण इसके लिए व्यापक पैमाने पर वनविभाग और पर्यावरण अमले ग्रामीणों में जागरूकता फैलाने का काम कर रही है।
राज्य सरकार के पास वर्तमान में छत्तीसगढ़ में कितने पक्षी हैं इसके संबध में कोई अधिकारिक जानकारी नहीं है। फिर भी बस्तर में ऐसे 14 स्थानों को चिन्हित किया गया है जहाँ ये पक्षी अपने भोजन की तलाश में आते है। और आफ सीजन में सूख चुके पेड़ों के खोखलों पर ये रहते है।
2017 में इनकी जब गणना की गई थी तब 100 जोड़े देखे जाने की बात की गई थी। 2017 के बाद इनकी गणना नहीं हो पाई है । वन विभाग बस्तर के मुताबिक आज से 20 साल पहले एक झुड में 200 की तादाद में पहाड़ी मैना देखे गए थे।
इस पक्षी के संरक्षण में अब तक 20 करोड़ खर्च हो चुके है।।