सूरजपुर। एक ओर जहां प्रदेश सरकार छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh ) में नदियों को पूजनीय का दर्जा दे चुकी है वहीं दूसरी ओर इन दिनों नदियों का अस्तिव खतरे में है। गौरतलब है कि प्रदेश के साथ जिले का आलम यह हो चुका है कि रेत माफिया नियम कानून को ताक में रख कर इन दिनों बालू का बड़े पैमाने पर दोहन कर रहे है और ताज्जुब की बात तो यह है कि प्रशासन बेबस और लाचार बन ताम्सबीन बना हुआ है।
सूरजपुर में 21 भंडारण एवं 36 घाटों को जिला प्रशासन ने स्वीकृति दी है, जिसके लिए कई कंडिकाओं में रेत उत्खनन को लेकर नियमावली भी दर्शायी गई थी। लेकिन घाट आबंटन के बाद से ही खनिज विभाग के संरक्षण में सभी नियम कानून को ताक में रख रेत माफिया उत्खनन कर रहे है, जिसके परिणामस्वरूप आलम यह हो चला है कि सूरजपुर वासियों के लिए इन दिनों रेत के भाव सोने से कम नही है।
नाम छापने की शर्त में एक व्यक्ति ने बताया कि खनिज विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से यह रेत माफिया चैन पोकलेन लगाकर नदियों से इस कदर बालू का दोहन कर रहे हैं जिससे आने वाले समय में नदियां रेत विहीन हो जाएगी और गलती से अगर इन माफियाओं के विरुद्ध कोई आवाज बुलंद करता है तो लाठी-डंडे के दम पर उसकी आवाज को दबा दिया जाता है। विभागीय संरक्षण प्राप्त होने के कारण यह माफिया इन दिनों बेलगाम घोड़े की तरह हो गए हैं।
सूत्रों की माने तो यूपी से तालुकात रखने वाले भी कुछ रेत घाट के ठेकेदार अपने पास हथियार भी रख कर चलते हैं, जहां एक और खनिज विभाग का समर्पण इन जैसे रेत माफियाओं को बल देता है वही पुलिस विभाग की भी लापरवाही के कारण एक भय का माहौल इन दिनों क्षेत्र में देखने को मिल रहा है । अब देखने वाली बात होगी कि यह भय और अराजकता का माहौल पर प्रशासन की नज़र कब पड़ती है और नदियों के अस्तिव को लेकर क्या पहल प्रशासनिक अधिकारी करते है बरहाल जिले की नवनियुक्त कलेक्टर इफ्फत आरा से भी लोग ऐसे माफियाओं पर शिकंजा कसने की उमीद लगा कर बैठे है ।