सरगुजा/छत्तीसगढ़ सरकार ने सरगुजा संभाग के हसदेव अरंड वन क्षेत्र में राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (आरआरवीयूएनएल) को आवंटित तीन आगामी कोयला खदान परियोजनाओं के संबंध में कार्यवाही रोक दी है। परियोजनाओं को स्थानीय लोगों और कार्यकर्ताओं के कड़े विरोध का सामना करना पड़ रहा है।
स्थानीय लोगों का दावा है कि कोयला खदान से जैव विविधता और पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचेगा। पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील हसदेव अरंड वन क्षेत्र में खनन न केवल आदिवासियों को विस्थापित करेगा साथ ही क्षेत्र में मानव-हाथी संघर्ष भी बढ़ेगा।
छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव ने कोयला खदान परियोजनाओं का विरोध कर रहे स्थानीय ग्रामीणों के समर्थन में सोमवार को सरगुजा जिले के हसदेव अरंड क्षेत्र के गांवों का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने कहा था कि यदि विरोध करने वालों पर लाठी या गोली चली तो इसे झेलने वाले वह पहले व्यक्ति होंगे।
वहीं अगले दिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि अगर सिंह देव नहीं चाहते कि कोयला खदान परियोजनाओं के लिए पेड़ों को काटा जाए तो एक भी शाखा नहीं काटी जाएगी।
खनन परियोजनाओं को रोके जाने की पुष्टि करते हुए सरगुजा के जिलाधिकारी संजीव झा ने बृहस्पतिवार को बताया कि तीन आगामी परियोजनाएं परसा, परसा पूर्व और कांते बासन (पीईकेबी) का दूसरा चरण और कांते एक्सटेंशन कोयला खदान जो खदान शुरू होने से पहले विभिन्न चरणों में हैं को आगामी आदेश तक के लिए रोक दिया गया है।
उन्होंने कहा कि स्थानीय जनप्रतिनिधि की सहमति के बिना प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ाया जाएगा। साथ ही जिलाधिकारी संजीव झा ने बताया कि तीनों खदानें आरआरवीयूएनएल को आवंटित की गई हैं तथा अडानी समूह एमडीओ (माइन डेवलपर और आपरेटर) के रूप में इससे जुड़ा है। उन्होंने बताया कि क्षेत्र के जिन खदानों में काम चल रहा है वे खदानें काम करती रहेंगी।