नई दिल्ली। राज्यसभा की कुल 57 सीटों पर हुए चुनाव के बाद सत्ताधारी भाजपा की सीटें 95 से घटकर 92 पर आ गई हैं, जबकि कांग्रेस 29 से बढ़कर 31 सीटों पर पहुंच गई है। इन द्विवार्षिक चुनावों में चार राज्यों-राजस्थान, हरियाणा, कर्नाटक और महाराष्ट्र में दिलचस्प मुकाबला हुआ। भाजपा के खाते में 57 में से 22 सीटें आईं और कांग्रेस को नौ सीटें मिलीं। जो 57 सदस्य अगले माह सेवानिवृत्त हो रहे हैं, उनमें भाजपा के 25 सांसद हैं और कांग्रेस के सात।
नए चेहरों पर किया था भरोसा
भाजपा और कांग्रेस, दोनों ने कई नए चेहरों पर भरोसा किया था। उच्च सदन में भाजपा की जो सदस्य संख्या में चार नामित सदस्य भी शामिल हैं। पार्टी को सात अन्य नामित सदस्यों का समर्थन भी मिलेगा। फिलहाल ये सीटें खाली हैं। पार्टी को हरियाणा से जीत दर्ज करने वाले निर्दलीय कार्तिकेय शर्मा का भी समर्थन हासिल होगा।
वाईएसआर-कांग्रेस और आप की छलांग
अगर क्षेत्रीय दलों की बात करें तो आंध्र प्रदेश में सरकार चला रही वाईएसआर-कांग्रेस की ताकत मौजूदा छह से बढ़कर नौ हो गई है, जबकि दिल्ली और पंजाब में सरकार चला रही आम आदमी पार्टी (आप) के पास दस राज्यसभा सदस्य होंगे।
इन पर कोई फर्क नहीं
द्रमुक(10), बीजद (9), टीआरएस (7), जदयू (5), राकांपा (4) और शिवसेना (3) की सदस्य संख्या में कोई परिवर्तन नहीं आएगा। इन दलों ने उतनी सीटें जीत ली हैं जितने उनके सदस्य सेवानिवृत्त हो रहे हैं।
अन्नाद्रमुक का नुकसान
अन्नाद्रमुक के अभी तक पांच सदस्य थे, लेकिन उसके अब चार सदस्य ही होंगे। उसके तीन सदस्य रिटायर हो रहे हैं, जबकि वह दो ही सीटें जीतने में कामयाब रही है।
सपा की ताकत घटी, बसपा शून्य
सपा की ताकत मौजूदा पांच से घटकर तीन होने जा रही है, क्योंकि उसने अपनी सीटें निर्दलीय कपिल सिब्बल और सहयोगी दल रालोद के जयंत चौधरी को दे दी हैं। राजद ने बिहार विधानसभा में अपनी बढ़ी ताकत के आधार पर एक सीट का इजाफा किया है। पहले उसके पांच सदस्य थे, अब छह होंगे। बसपा का अब केवल एक सदस्य ही होगा, जबकि अभी उसके तीन सांसद हैं। झामुमो का अभी तक केवल एक सदस्य था, लेकिन अब उसके दो सदस्य होंगे, जबकि शिरोमणि अकाली दल की सदस्य संख्या शून्य हो गई है। शिअद के अभी तक दो सदस्य थे।