डीलिस्टिंग महासभा और रैली का आयोजन अंबिकापुर के पीजी ग्राउंड में हुआ जहा एक बड़ी संख्या में विशाल आदिवासी समाज-संविधान में अपनी मांग को लेने के लिए खड़ा हुआ और सदियों से पिछड़ा हुआ यह समाज अपने अधिकारों के प्रति जागृत होकर अपनी अपनी शक्ति का प्रदर्शन करने के लिए एक ही बैनर तले दिखाई दिए।
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जिला पंचायत सदस्य व पूर्व जनपद अध्यक्ष सुमन सिंह ने कहा कि इस बैनर के तले इस मंच पर आदिवासी समाज के दिग्गज सांसद,विधायक और केंद्रीय मंत्री भी अपने समाज के साथ जमीन पर बैठे हुए दिखाई दिए है। धर्मांतरण का काम जो आज पूरे देश में बड़ी तेजी से चल रहा है यह हमारे देश और समाज को खोखला करने का काम कर रहा है।हमारी जड़ों को कमजोर करने का काम कर रहा है।इसके लिए बहुत जरूरी और आवश्यक हो गया है की एक बहुत बड़ा वर्ग जो देश की सुरक्षा के लिए घातक है जो देश की एकता को भंग करने वाला है हमको अनेक वर्गों में तोड़ने वाला है इसके लिए बहुत जरूरी है कि हम जागरूक हो जाएं। और अपनी आंखें खोलें कि जिस जमीन पर आज हम खड़े हैं कहीं वह जमीन भी हमारे पैरों से खिसकने वाली तो नहीं है क्या हम आने वाली पीढ़ी का भविष्य खतरे में नहीं डाल रहे हैं।
स्कूलों संस्थाओं और विश्वविद्यालयों में आरक्षण को लेकर आए दिन धरना प्रदर्शन
निश्चित ही आरक्षण एक बड़ा मुद्दा है जिसके लिए स्कूलों संस्थाओं और विश्वविद्यालयों(university ) में आरक्षण को लेकर आए दिन धरना प्रदर्शन होते रहते हैं। क्या हम इसके लिए वास्तव में सजक है।हम सभी को पता है कि आरक्षण उन विशेष जाति वर्ग के लिए है जो दबे – कुचले और दलित हैं भोले -भाले वनवासी हैं आदिवासी हैं। सिंह ने बताया कि संविधान में उसके लिए आरक्षण देकर सरकार उन वर्गों को समानता का अधिकार देती है ताकि वह सामान्य वर्ग के साथ एक सामान्य जीवन व्यतीत कर सकें धर्मांतरण का काम हमारे देश में सदियों से चला आ रहा है और समय-समय पर इसके लिए प्रदर्शन भी होते रहते हैं।
अनुसूचित जनजाति के वर्ग के लोगों को उनका वास्तविक हक मिलेगा
वास्तव में देखा जाए तो यह विषय बहुत गंभीर है क्योंकि हम अपने ही देश में कहीं अल्पसंख्यक ना बन जाए लिस्टिंग के होने से निश्चित है।अनुसूचित जनजाति के वर्ग के लोगों को उनका वास्तविक हक मिलेगा उनका वास्तविक अधिकार मिलेगा और आरक्षण का वास्तविक अर्थ तभी समझ में आएगा! यह प्रक्रिया ठीक उसी प्रकार से है जिस प्रकार से जो लोग अपने को अनुसूचित जनजाति कहते हैं। परंतु वास्तव में अनुसूचित जनजाति है नहीं जो अपनी वास्तविक दूरी को छोड़ कर के कहीं और भटक गए हैं। उन्हें तत्काल इस लिस्ट से बाहर कर देना चाहिए इस लिस्ट से डिलीट कर देना चाहिए ताकि दसवें पायदान पर आने वाला हमारा अनुसूचित जनजाति का व्यक्ति पहले पायदान पर आ सके,तभी यह लड़ाई खत्म होगी तभी हमारी वास्तविक जीत होगी।