चांद को चाहने वालों व खगोल में रुचि रखने वालों के लिए मंगलवार रात खास थी। दुनिया के कई शहरों में ‘स्ट्रॉबेरी सुपर मून’ का अद्भुत नजारा दिखाई दिया। मंगलवार को पूर्णिमा थी और इस मौके पर चांद अपने पूरे शबाब पर था।
दरअसल जून के फुल मून को ही ‘स्ट्रॉबेरी मून’ के नाम से जाना जाता है। भारतीय समयानुसार स्ट्रॉबेरी मून शाम 5:22 पर नजर आया, चूंकि भारत में इस वक्त सूर्य चमकता रहता है, इसलिए यह यहां नजर नहीं आया ,लेकिन विश्व के कई देशों में यह दिखाई दिया। भारत में मंगलवार को वट सावित्री पूर्णिमा पर्व था। इस मौके पर महिलाएं अपने अखंड सौभाग्य की कामना के साथ वट वृक्ष की पूजा अर्चना करती हैं। भारतीय संस्कृति में चंद्र दर्शन का विशेष महत्व है। कई व्रत उपवास सूर्य व चांद से जुड़े हैं।
क्या होता है सुपर मून
सुपरमून के दिन चांद पृथ्वी पर बड़ा और चमकदार दिखाई देता है। नासा के अनुसार, सुपर मून रोजाना के चांद की तुलना में 10 फीसदी ज्यादा चमकीला होता है। सुपर मून दुर्लभ होते हैं। ये एक साल में तीन-चार बार ही आते हैं।इटली के सेकानो से टेलीस्कोप के जरिए स्ट्रॉबेरी मून का विश्व में रात 12.45 वेबकॉस्ट किया गया।
क्यों कहा जाता है स्ट्रॉबेरी मून
दरअसल, ‘स्ट्रॉबेरी मून’ का इस मौसम में आने वाले रसीले व सुंदर फल स्ट्रॉबेरी से कोई संबंध नहीं है। न तो इसका रंग गुलाबी होता है और न चांद इसके जैसा नजर आता है। यह नाम अमेरिकी जनजातियों द्वारा रखा गया है। इस नाम का उपयोग पहली बार डकोटा और लकोटा के लोगों ने किया था। जून में स्ट्रॉबेरी पक जाती हैं और इन्हें तोड़ा जाता है, इसलिए इसे स्ट्रॉबेरी मून कहा जाता है।
इस साल से छह और सुपर मून
13 जुलाई को बक मून
11 अगस्त को स्टर्जन मून
10 सितंबर को हार्वेस्ट मून
9 अक्तूबर को हंटर मून
8 नवंबर को बीवर मून
7 दिसंबर को कोल्ड मून