रायपुर : केंद्रीय विद्युत मंत्री आरके सिंह द्वारा दिल्ली में फिक्की के कार्यक्रम में इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2021 को संसद के आगामी मानसून सत्र में पारित कराए जाने की घोषणा का छत्तीसगढ़ विद्युत मंडल अभियंता संघ ने कड़ा विरोध किया है। अभियंता संघ ने कहा है कि देशभर के बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों को विश्वास में लिए बिना इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2021 को संसद में पारित कराने की किसी भी एक तरफा कार्यवाही का कड़ा विरोध किया जाएगा देश के तमाम 27 लाख बिजली कर्मचारी व इंजीनियर ऐसे किसी भी कदम के विरोध में राष्ट्रव्यापी हड़ताल करने के लिए बाध्य होंगे। छत्तीसगढ़ विद्युत मंडल अभियंता संघ ने देश के सभी मुख्यमंत्रियों को पत्र भेजकर यह अपील की है कि ऊर्जा क्षेत्र और बिजली उपभोक्ताओं के व्यापक हित में वे इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2021 का पुरजोर विरोध करें।
अभियंता संघ के अध्यक्ष और महासचिव ने जारी किया बयान
छत्तीसगढ़ विद्युत मंडल अभियंता संघ के अध्यक्ष राजेश पाण्डेय व महासचिव मनोज वर्मा ने आज यहां जारी एक बयान में बताया कि विगत वर्ष किसान आंदोलन के बाद केंद्र सरकार ने संयुक्त किसान मोर्चा को प्रेषित पत्र में यह लिखित आश्वासन दिया है कि इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2021 सभी स्टेकहोल्डर्स को बिना विश्वास में लिए और सभी स्टेकहोल्डर्स से बिना चर्चा किए संसद में नहीं रखा जाएगा।
उन्होंने कहा कि बिजली के क्षेत्र में सबसे बड़े स्टेकहोल्डर बिजली के उपभोक्ता और बिजली के कर्मचारी हैं। केंद्र सरकार ने और केंद्रीय विद्युत मंत्रालय ने आज तक न ही बिजली के उपभोक्ता संगठनों से और न ही बिजली कर्मचारियों के किसी भी संगठन से इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2021 के माध्यम से प्रस्तावित संशोधनों पर कोई बात की है। यदि बिजली कर्मचारियों को विश्वास में लिए बिना इस बिल को संसद के मानसून सत्र में रखा जाता है तो यह सरकार के लिखित आश्वासन का खुला उल्लंघन होगा और इसका पुरजोर विरोध किया जाएगा ।
केंद्रीय विद्युत मंत्री आर के सिंह के बयान को बताया भ्रामक
केंद्रीय विद्युत मंत्री आर के सिंह के बयान को भ्रामक और जनता के साथ धोखा बताते हुए उन्होंने कहा की इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2021 के जरिए उपभोक्ताओं को चॉइस देने की बात पूरी तरह गलत है। दरअसल इस संशोधन के जरिए केंद्र सरकार बिजली वितरण का लाइसेंस समाप्त कर निजी घरानों को सरकारी बिजली वितरण के नेटवर्क के जरिए बिजली आपूर्ति करने की सुविधा देने जा रही है। बिजली के सरकारी निगमों ने अरबों खरबों रुपए खर्च करके बिजली के ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन का नेटवर्क खड़ा किया है और इसके अनुरक्षण पर सरकारी निगम प्रति माह करोड़ों रुपए खर्च कर रहे हैं। इस बिल के जरिए इस नेटवर्क के उपयोग की छूट निजी घरानों को देने की सरकार की मंशा है।
केवल मुनाफे वाले इंडस्ट्रियल और कमर्शियल उपभोक्ताओं को ही मिलेगी बिजली
जहां तक यह सवाल है कि इससे उपभोक्ताओं को चॉइस मिलेगी यह पूरी तरह गलत है क्योंकि इस बिल में साफ-साफ लिखा है की यूनिवर्सल सप्लाई ऑब्लिगेशन अर्थात सबको बिजली आपूर्ति करने की अनिवार्यता केवल सरकारी निगमों की होगी। निजी क्षेत्र की बिजली कंपनियां सरकारी नेटवर्क का इस्तेमाल कर केवल मुनाफे वाले इंडस्ट्रियल और कमर्शियल उपभोक्ताओं को ही बिजली देगी। इस प्रकार घाटे वाले घरेलू उपभोक्ताओं और ग्रामीण क्षेत्र के उपभोक्ताओं को बिजली देने का काम केवल सरकारी बिजली वितरण कंपनी के पास रहेगा। इससे सरकारी क्षेत्र की बिजली वितरण कंपनियां आर्थिक रूप से पूरी तरह कंगाल हो जाएगी और उनके पास बिजली खरीदने के लिए भी आवश्यक धनराशि नहीं होगी ।
उन्होंने आगे बताया कि इस अमेंडमेंट बिल के जरिए किसी भी प्रकार आम उपभोक्ता के लिए बिजली सस्ती नहीं होने वाली है ।इसका मुख्य कारण यह है कि बिजली की लागत का 80 से 85% बिजली खरीद का मूल्य होता है और बिजली खरीद के करार 25- 25 वर्ष के लिए पहले से ही चल रहे हैं ।अतः बिजली खरीद के मूल्य में कोई कमी नहीं आने वाली है। साफ है कि कंपटीशन की बात कह कर जनता को धोखा दिया जा रहा है।