गरियाबंद ।- छत्तीसगढ़ में अपनी कला और संस्कृति के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है, जहां के प्रत्येक क्षेत्र में अलग-अलग संस्कृति-कला देखने को मिलती है. गोदना कला भी छत्तीसगढ़ की संस्कृति की विशेष पहचान है. हालांकि, ये धीरे धीरे विलुप्त हो रही है.गोदना कला को संरक्षित करने की उद्देश्य से गरियाबंद जिला प्रशासन की पहल पर गोदना कला प्रशिक्षण का इस कला की ट्रेनिंग दी जा रही है.
जिला मुख्यालय गरियाबंद के सिविल लाइन स्थित कमार विश्राम भवन में 15 जून को गोदना कला का शुभारंभ किया गया है। जिसमें प्रशिक्षण प्राप्त कर महिलाओं को गोदना कला में आर्थिक स्वालंबन बनाने के लिए दुसरी बार जिले में इसकी शुरुआत की गई है, जिसमें महिलाएं बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रही हैं।
ज्ञात हो कि छत्तीसगढ़ के सबसे प्रचलित गोदना कला को आजीविका का माध्यम बनाने ग्रामीण एवं शहरी महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने प्रशिक्षण दिया जा रहा है।वहीं 20 महिलाएं पूरे उत्साह के साथ प्रशिक्षण प्राप्त कर रही है। जिला मुख्यालय स्थित कमार विश्राम भवन, सिविल लाईन गरियाबंद में 20 शिल्पियों का 01 बैच गोदना शिल्प प्रशिक्षण का उद्घाटन मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्रीमती रोक्तिमा यादव जिला पंचायत गरियाबंद द्वारा किया गया।
उद्घाटन अवसर पर सुखचंद बेसरा (कमार जनजाति अध्यक्ष दुखराम कमार, कमार जनजाति सदस्य बनसिंह सोरी, सरपंच कुल्हाड़ीघाट श्रीमती सृष्टि शर्मा ,सहा. संचालक, मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना सुशील कुमार बेहरा, सहा. संचालक, खादी तथा ग्रामोद्योग विभाग, सुरेन्द्र कोल्हेकर सहा. संचालक, रेशम विभाग, भारतेन्दु देवागंन मुख्य कार्यपालन अधिकारी, अन्त्यावसायी, जितेन्द्र ढ़ीढ़ी प्रबंधक, जिला व्यापार उद्योग, एवं हस्तशिल्प विकास बोर्ड गरियाबंद के प्रबंधक एच.बी. अंसारी तथा स्टाॅफ उपस्थित थे। अंसारी द्वारा बताया गया कि 20 महिला हितग्राहियों का 01 बैच, जिसमें 07 कमार जनजाति एवं शेष 13 महिलाये अन्य वर्ग के है। प्रशिक्षण के दौरान प्रति माह, प्रति हितग्राही राशि रू. 1500/-छात्रवृत्ति दी जावेगी। CEO मैडम द्वारा हितग्राहियों को प्रोत्साहित करते हुए कहां कि गोदना शिल्प महिलाओं के लिए बहुत अच्छी है इसे अच्छे लगन से सिखने के लिए कहते हुए, इसकी मार्केटिंग व्यवस्था की जानकारी बताया गया, साथ ही पूर्व संचालित गोदना शिल्प के कपड़ो का भी अवलोकन किया गया।