बस्तर/ नगरनार स्टील प्लांट अब क्या रुप लेगा। राज्य सरकार जिंदल ग्रुप से मिलकर संयुक्त रुप से इस प्लांट को लेने के लिए पुरी शक्ति से कोशिश कर रही है। दूसरी ओर केंद्र सरकार के ठोस निर्णय न लेने से नगरनार स्टील प्लांट का काम रुका पड़ा है तथा उत्पादन एवं निर्माण भी अधर में लटका है। एनएमडीसी का मुख्यालय भी इस बारे में केंद्र सरकार के दिशा निर्देशों का इंतजार कर रहा है। देखना है कि इस स्टील प्लांट को राज्य सरकार अपनी ओर लाने में कितनी सफल हो पाती है, इससे बस्तर का भविष्य जुड़़ा हुआ है।
बस्तर में स्थापित होने वाला नगरनार स्टील प्लांट वर्तमान में अधिकारी-कर्मचारी एवं काम करने वाले ठेकेदारों को असंजस की स्थिति में ला खड़ा किया है। केंद्र सरकार द्वारा नगरनार स्टील प्लांट को निजी हाथों में सौंपने के निर्णय से एनएमडीसी द्वारा नगरनार क्षेत्र में कर्मचारियों के लिए बनने वाले आवास तथा अन्य सुविधाओं के लिए राशि जारी नहीं की जा रही है। राशि प्राप्त न होने पर गृह निर्माण मंडल ने करोड़ों का आवासीय एवं अन्य सुविधाओं का काम रोक दिया है। उल्लेखनीय है कि बस्तर में स्थापित होने वाले इस स्टील प्लांट को निजी हाथों में जाने का कांग्रेस ने प्रदर्शन एवं विरोध किया था। बस्तर के सांसद दीपक बैज, संसदीय सचिव रेखचंद जैन, आदिवासीय प्राधिकरण के अध्यक्ष लखेश्वर बघेल, कांग्रेस अध्यक्ष राजीव शर्मा के साथ सभी कांग्रेस के विधायकों ने इसे राज्य सरकार को सौंपने के लिए प्रदर्शन भी किए थे। बस्तर में जब भी कोई उद्योग या संयंत्र एवं परियोजनाएं खटाई में पड़ जाती है। बोधघाट विद्युत जल परियोजना को मंजूरी मिल चुकी है मगर विरोध जारी है। बैलाड़ीला के खदान 13 का भी विरोध होने से बंद पड़ी है। बस्तर का दुरुभाग्य है कि बस्तर उद्योगों तथा रायपुर रेल मार्ग एवं बाइपास सड़क से अबतक नहीं जुड़ पाया है। केशकाल घाट में जाम की स्थिति से प्रतिवर्ष मरीज रायपुर जाने से वंचित हो जाते है एक मात्र वायुसेवा का भी बुरा हाल है। भूपेश सरकार की नई योजना गांव-गांव में दस्तक दे रही है। बस्तरवासी हर समस्या से जुझ रहा है एक तरफ कोरोना दूसरी ओर नक्सलवाद और परियोजनाओं एवं स्टील प्लांट तथा उद्योगों के न लगने से बेरोजगारी की समस्या से युवा वर्ग निराश है।