सुकमा/ बरसात लगते ही अनेकों बिमारी का खतरा बढ़ जाता है। क्योंकि इस मौसम में वातावरण में नमी होने के कारण संक्रमण की संभावना अधिक होती है। छोटे बच्चों, शिशुवती एवं गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों में आमतौर पर उल्दी, दस्त, मलेरिया, फूड पॉइज़िनिंग, डायरिया आदि बिमाारी होती है। इसका मुख्य कारण होता है, आसपास साफ-सफाई नहीं होना, बासी या ठण्डा भोजन का सेवन करना। इसके साथ ही जलजमाव होने पर मच्छरों के पनपने से मलेरिया, डेंगू आदि का खतरा रहता है।
जिले के आंगनबाड़ी केन्द्रों मंे नौनीहालों को स्वच्छता का पाठ पढ़ाया जा रहा है। भोजन ग्रहण करने के पहले साबुन से अच्छे से हाथ धोना, शौच के बाद अनिवार्य रुप से हाथों को साबुन से धोना। घर पर गरम ताजा और पौष्टिक भोजन का सेवन करना। अपने आंगनबाड़ी के साथ ही अपने घर पर साफ सफाई रखने की सीख बच्चों को दी जा रही हैं। साथ ही आंगनबाड़ी केन्द्रों में बच्चों के साथ ही गर्भवती महिलाओं को भी गरम, पौष्टिक भोजन प्रदाय किया जा रहा है।
आंबा कार्यकर्ताओं एवं पर्यवेक्षकों द्वारा घर घर जाकर ग्रामीणों को बरसात के मौसम मे होने वाली बिमारियों से बचाव के उपाय करने, सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करने को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके साथ ही गर्भवती एवं शिशुवती महिलाओं से भेंट कर अपने खान पान का विशेष ध्यान रखने की सीख दे रहे है।
बरसात के मौसम में हमें अपने आस पास साफ-सफाई पर अधिक ध्यान देना चाहिए। जलजमाव हाने वाले गढ्ढों, कूलर, टायर या अन्य कोई भी वस्तु जिसमेें जलजमाव की संभावना हो, उसका उपचार करें, कीटनाशक दवाईयों का छिड़काव करें। ताजा गरम भोजन का सेवन करें, बाहर के खाद्य पदार्थ खाने से परहेज करें। उल्टी, दस्त, बार बार बुखार आना, पेट खराब होने की स्थिति में डॉक्टर से परामर्श करें।