जगदलपुर/ बस्तर गोंचा महापर्व में अनसर काल समाप्त होने पर गुरूवार को नेत्रोत्सव पूजा विधान रियासत कालीन परंपराओं का निर्वहन करते हुए 360 घर आरण्यक ब्राह्मण समाज के द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के साथ भगवान जगन्नाथ, माता सुभद्रा एवं बलभद्र स्वामी को नए वस्त्र आभूषण से सुसज्जित कर संपन्न करवाया गया। इसके साथ ही विगत तीन दिनों से जारी अन्नपूर्णा महालक्ष्मी की प्राण-प्रतिष्ठा भी संपन्न किया गया, इस अवसर पर बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल हुए। शुक्रवार को श्रीगोंचा रथयात्रा पूजा विधान के साथ भगवान जगन्नाथ, माता सुभद्रा एवं बलभद्र स्वामी के विग्रहों को रथारूढ़ कर रथ परिक्रमा मार्ग से होते हुए गुड़िचा मंदिर सिरहासार भवन में स्थापित किया जावेगा।
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रियासत कालीन श्रीश्री जगन्नाथ मंदिर में 06 खंडों में भगवान जगन्नाथ स्वामी, बलभद्र एवं देवी सुभद्रा के विग्रह सात जोड़े और केवल एक प्रतिमा जगन्नाथ भगवान के साथ कुल बाईस प्रतिमाओं का एक साथ पूजा अर्चना कर नेत्रोउत्सव पूजा संपन्न किया गया। वैदिक मंत्रोच्चार के साथ हवन-पूजन पश्चात सभी प्रतिमाओं को नए वस्त्र और रजत आभूषण से सुसज्जित किया गया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालओं ने दर्शन का पुण्य लाभ लेने के साथ ही प्रसाद ग्रहण किया गया। भगवान जगन्नाथ, माता सुभद्रा एवं बलभद्र स्वामी के बाईस प्रतिमाओं की तीन रथों में निकाली जाने वाली रथयात्रा देश-विदेश के किसी भी श्रीश्री जगन्नाथ मंदिर में नहीं होती है। श्रीश्री जगन्नाथ मंदिर में सात खंड हैं, जिसका रियासत कालीन नामकरण इस प्रकार है, जगन्नाथ जी की बड़े गुड़ी, मलकानाथ मंदिर, अमायत मंदिर, मरेठिया मंदिर, भरतदेव मंदिर तथा कालिकानाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है, श्रीराम मंदिर के साथ सात खंडों में स्थापित हैं।
श्री जगन्नाथ मंदिर परिसर में आयोजित नेत्रोत्सव के शुभ अवसर पर 360 घर ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष ईश्वर खंबारी और अध्यक्ष बस्तर गोंचा महापर्व दीनदयाल जोशी, आत्माराम जोशी, आशा आचार्य आदि पदाधिकारियों ने युवा समिति के नव नियुक्त पदाधिकारियों को शपथ दिलाई गई समिति के पदाधिकारियों ने समाज हित में काम करने का भरोसा दिलाया है।