नई दिल्ली: रुपये की रिकॉर्डतोड़ गिरावट गिरने का नाम नहीं ले रही है. गुरुवार, 21 जुलाई, 2022 को भारतीय करेंसी शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 1 पैसे की गिरावट के साथ 80.06 के सर्वकालिक निचले स्तर पर आ गया. Bloomberg के मुताबिक, रुपया 80.0013 से 80.0638 के रेंज के बीच ट्रेड कर रहा था. ऐसा पहली बार है जब रुपये ने 80 डॉलर के ऊपर ट्रेडिंग दर्ज की है. एशियाई बाजारों में भी गिरावट दर्ज हुई है.
तेल आयातकों की तरफ से अमेरिकी डॉलर की मांग आने और कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि होने से रुपया और कमजोर हुआ है. विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि कच्चे तेल की कीमतों में मजबूती बनी रहने से स्थानीय मुद्रा पर दबाव पड़ा. ब्रेंट क्रूड 106 डॉलर प्रति बैरल के पार चला गया है. यही वजह है कि घरेलू मुद्रा का स्तर 80 रुपये प्रति डॉलर के आस-पास बना हुआ है. इसके अलावा चालू खाता घाटा और कारोबार घाटा बढ़ने से भी निवेशकों की धारणा प्रभावित हुई.
अगर कल के सत्र की बात करें तो अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में बुधवार को अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया 13 पैसे लुढ़ककर 80 प्रति डॉलर के मनोवैज्ञानिक स्तर को लांघकर बंद हुआ था. गिरावट का कारण आयातकों की भारी डॉलर मांग और कच्चे तेल की अधिक कीमतों का होना है.
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 79.91 प्रति डॉलर पर खुला और कारोबार के दौरान यह 80.05 के निचले स्तर को छू गया। कारोबार के दौरान रुपये में 79.91 से 80.05 रुपये के दायरे में घटबढ़ हुई. कारोबार के अंत में रुपया अपने पिछले बंद भाव के मुकाबले 13 पैसे की गिरावट के साथ दिन के निम्नतम स्तर 80.05 (अस्थायी) प्रति डॉलर पर बंद हुआ.
बाजार सूत्रों ने कहा कि तेल आयातक कंपनियों की भारी डॉलर मांग, कच्चे तेल की कीमतों के मजबूत होने के साथ-साथ व्यापार घाटा बढ़ने की चिंताओं के कारण निवेशकों की धारणा प्रभावित हुई जो गिरावट का मुख्य कारण बना.