ग्रैंड न्यूज़ डेस्क। CG NEWS देश तथा प्रदेश के कई हिस्सों में तेज बारिश जारी है, लेकिन सूरजपुर जिला (Surajpur District) अभी भी बारिश के लिए तरस रहा है, जिले में भी सामान्य बारिश हो इसके लिए अब स्थानीय लोग भी नए नए प्रयोग करने लगे हैं, इसी क्रम में जिले के कई हिस्सों में मेंढक और मेढकी की शादी (frog and frog wedding) की जा रही है, यह कोई आश्चर्यजनक शादी नहीं है या फिर इसे किसी ने पहली बार नहीं किया है यह पुरानी मान्यता है कि इस तरह की शादी करने से बारिश होने लगती है।
यह शादी का माहौल, मंत्र उच्चारण और झूमते गाते लोग, यह देख कर आपको आसानी से समझ आ गया होगा कि यहां पर शादी हो रही है, लेकिन आप यह सुनकर चौंक जाएंगे कि यहां किसी इंसान का नहीं बल्कि मेंढक और मेढकी की शादी हो रही है, पिछले कुछ दिनों से सूरजपुर जिले में यह नजारा आम हो चला है, जिले के प्रतापपुर, भैयाथान सहित ऐसे कई इलाके हैं जहां पूरे धूम धाम से मेंढक और मेढकी का विवाह रचाया जा रहा है, मान्यता है कि इंद्रदेव के नाराज होने की वजह से जब क्षेत्र में बारिश ना हो, तब मेंढक और मेंढकी का विवाह कराने से इंद्र देवता प्रसन्न होते हैं और इलाके में बारिस होने लगता है, जिले की यह परंपरा बहुत पुरानी है और आज भी किसान इस परंपरा को मान रहे हैं।
जहां एक और ग्रामीण इलाके के कम पढ़े लिखे लोग इस तरह के अंधविश्वास को मान रहे हैं, वही पढ़े लिखे लोगों की भी यह मान्यता है कि ऐसी परंपरा से किसी का नुकसान नहीं होता है और ग्रामीणों को आत्म संतुष्टि मिलती है, तो ऐसी परंपरा मैं कोई बुराई नहीं है, कुल मिलाकर चाहे वह ग्रामीण अंचल का तबका हो या शहरी क्षेत्र का। इस परंपरा का सभी कोई समर्थन करते नजर आ रहे हैं।
कहते हैं छत्तीसगढ़ परंपराओं का प्रदेश है, यहां पर कई तरह की मान्यताएं हैं, हालांकि इन का कोई वैज्ञानिक आधार तो नहीं है, बावजूद इसके बड़ी संख्या में लोग ऐसी मान्यताएं और परंपराएं को मानते हैं।
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