रायपुर। Chhattisgarh News : छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh)के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों (naxal affected areas)में, इस साल गर्मियों का मौसम अपेक्षाकृत रूप से शांत रहा जो कि अकसर सुरक्षाबलों (security forces)के लिए सिरदर्द बन जाता है।
छत्तीसगढ़ में इस साल गर्मियों के महीनों में नक्सली वारदातों में कमी देखी गई है। पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, इस साल 30 जून तक 131 नक्सली घटनाओं में सात सुरक्षाकर्मी मारे गए और 43 घायल हुए हैं।
पिछले साल इसी अवधि के दौरान 41 सुरक्षाकर्मी मारे गए थे और 103 घायल हुए थे। 2020 में 28 सुरक्षाकर्मी मारे गए और 50 घायल हुए थे, जबकि इसी अवधि के दौरान 2019 में 16 कर्मियों की मौत हो गई और 26 घायल हो गए। आमतौर पर मार्च और जून के बीच सुरक्षा बलों पर नक्सली हमले बढ़ जाते हैं। क्योंकि इस दौरान मौसम के कारण झाड़ियां सूख जाती हैं, इससे उन्हें जंगलों में सुरक्षा बलों की पल-पल की गतिविधियों की खबर मिल जाती है।
पुलिस महानिरीक्षक (बस्तर रेंज) सुंदरराज पी ने बताया, सुरक्षा बलों ने मिनपा, एल्मागुंडा, पोटाकापल्ली, तर्रेम, कदेमेटा, नाहदी और चंदामेटा (बस्तर क्षेत्र के सात जिलों में) जैसे रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण स्थानों पर कम से कम 43 नए ऑपरेशनल बेस कैंप खोले हैं।
उन्होंने कहा, ये न केवल क्षेत्र में विकास कार्यों को सुविधाजनक बना रहे हैं, बल्कि नक्सल गलियारों और आपूर्ति शृंखलाओं को रोकने में मदद कर रहे हैं। नक्सल इतिहास की सबसे बड़ी घटना छह अप्रैल 2010 को सुकमा जिले में हुई थी। इस घटना में 76 सुरक्षाकर्मी मारे गए थे। ये हमले गर्मियों में हुए थे।
लेकिन, पिछले तीन वर्षों में सुरक्षा बलों द्वारा नक्सलियों के गढ़ों में स्थापित विभिन्न शिविरों ने इस साल नक्सलियों के टीसीओसी (टैक्टिकल काउंटर अफेंसिव कैंपेन) ने इस साल सुरक्षा बलों के शिविरों को कम नुकसान पहुंचाया है। इस साल एक जनवरी से 30 जून के बीच 14 नक्सली मारे गए, जबकि 2021 में 18, 2020 में 20 और 2019 में 28 विद्रोही इसी अवधि के दौरान मारे गए।