सुकमा। जिले में 2021 में ताडमेटला एवं 2022 में तिम्मापुरम मुठभेड़ में मारे गये नक्सलियों के बारे में अन्य नक्सलियों ने प्रेस नोट जारी कर बस्ता भीमा व मड़काम जोगा को ग्रामीण बताते हुए सुरक्षाबलों पर फर्जी मुठभेड़ का आरोप लगाया था।
अब 28 जुलाई से 3 अगस्त तक शहीद स्मृति सप्ताह मनाने को लेकर नक्सलियों के द्वारा जारी पर्चे में बस्ता भीमा व मड़काम जोगा को अपना साथी मानते हुए उन्हें शहीद का दर्जा दिया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार पिछले वर्ष नवंबर में ताड़मेटला के जंगलों में कोबरा 201 और डीआरजी के जवानों ने ज्वाइंट ऑपरेशन में 1 लाख के इनामी जनमिलिशिया कमांडर मांडवी उर्फ बस्ता भीमा को मुठभेड़ में मार गिराया था।
इसी साल जनवरी में जवानों ने तिम्मापुरम के जंगलों में मुठभेड़ में 1 लाख के इनामी जनमिलिशिया कमांडर मडक़ाम जोगा को भी ढेर करने में सुरक्षाबलों को सफलता मिली थी।
दोनों मुठभेड़ के तुरंत बाद नक्सलियों ने प्रेस नोट जारी कर सुरक्षाबलों पर फर्जी एनकाउंटर में निर्दोष ग्रामीणों को मारने का आरोप लगाया था।
पुलिस ने नक्सलियों के उन आरोपों का खंडन किया था। अब नक्सलियों की तरफ से 28 जुलाई से 3 अगस्त तक शहीद स्मृति सप्ताह मनाने को लेकर जारी पर्चे में बस्ता भीमा व मडक़ाम जोगा को अपना साथी मानते हुए उन्हें शहीद का दर्जा दिया है।
शहीद स्मृति सप्ताह को लेकर जारी पर्चे में नक्सलियों ने दक्षिण सब जोनल ब्यूरो केअंतर्गत जुलाई 2021 से जुलाई 2022 के बीच 34 नक्सलियों के मुठभेड़ व बीमारी से मौत होने का जिक्र किया गया है, जिसमें जोगा व भीमा का नाम भी शामिल हैं।
सुकमा एसपी सुनील शर्मा ने बुधवार को नक्सली झूठ का पर्दाफाश होने की बात कहते हुए कहा कि, पिछले शुक्रवार को भी फुलबगड़ी में मुलेर गांव के जंगल में हुए मुठभेड़ में नक्सलियों के दण्डकारण्य आदिवासी किसान मजदूर संघ उपाध्यक्ष माड़वी हांदा के मारे जाने के बाद नक्सली
उस इलाके के आम लोगों पर दबाव बनाकर सामाजिक संगठनों तक गलत जानकारी पहुंचाकर मुलेर मुठभेड़ को फर्जी बताकर उसका दुष्प्रचार कराए जाने की बात भी सामने आई है।