बर्मिंघम: कॉमनवेल्थ गेम्स (CWG 2022) के दूसरे दिन मेडल टैली में भारत का खाता खुला। पहला मेडल संकेत महादेव सरगर ने वेटलिफ्टिंग के 55 किग्रा कैटेगरी में दिलाया। उन्होंने 248 किलो (113 और 135 किलो) का वजन उठाया। वह एक किलो के अंतर से गोल्ड मेडल चूक गए। देश को दूसरा मेडल भी वेटलिफ्टिंग में मिला। इस बार गुरुराज पुजारी (Gururaja Poojary) ने 61 किग्रा वर्ग में ब्रॉन्ज जीता। उन्होंने 269 किग्रा का वजन उठाया और भारत को दूसरा मेडल दिलाया। इसके बाद ओलिंपिक की सिल्वर मेडलिस्ट मीराबाई चानू ने देश के लिए गोल्ड मेडल जीता। उन्होंने कुल 201 किग्रा का वजन उठाया। सिल्वर मेडल जीतने वाली वेल्टलिफ्टर उनसे 29 किलो पीछे थी।
बेहद गरीब परिवार की मीराबाई चानू
मीराबाई चानू ने 2018 कॉमनवेल्थ गेम्स में भी गोल्ड जीता था। तोक्यो 2020 में उन्हें सिल्वर मिला। अब एक बार फिर CWG में गोल्ड जीता है। उनकी सफलता सभी को दिख रही है लेकिन इसके पीछा का संघर्ष काफी कम लोगों को पता है। चानू काफी गरीब परिवार से आती हैं। वह बचपन में अपने भाई-बहनों के साथ लकड़ी बिनती थी। जंगल में जाकर वह लड़की चुनने के बाद उनका गठ्ठर बनाकर घर लाती थीं। इसकी वजह से उन्हें बचपन से ही वजन उठाने की आदत हो गई। मीरा के भाई सैखोम ने एक इंटरव्यू में कहा था कि एक दिन मैं लकड़ी का गठ्ठर नहीं उठा पाया, लेकिन मीरा ने उसे आसानी से उठा किया। फिर दो किमी चलकर घर भी आ गई। उस समय मीराबाई चानू सिर्फ 12 साल की थी।