रामचरितमानस के रचियता तुलसीदास( tulsidas) जन्म चित्रकूट के राजापुर गांव में हुआ था।वह श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को पैदा हुए थे इस साल तुलसीदास(tulsidas) जयंती गुरुवार, 4 अगस्त को मनाई जाएगी। ऐसा कहते हैं कि जब तुलसीदास का जन्म हुआ तो उनके मुख से ‘राम’ नाम शब्द निकला था।यही वजह थी कि उनका नाम रामबोला पड़ गया।
Read more : Dry Tulsi Plant: तुलसी का पौधा सूखने पर जरूर करें ये उपाय, खत्म हो जाएगी आने वाली समस्या
रत्नावती के सौंदर्य का जादू उन पर इस कदर चढ़ा था कि वे दुनिया-जहां की परवाह किए बगैर उन्हें प्रेम करने लगे. एक बार रत्नावती अपने मायके चली गईं तो तुलसीदास( tulsidas) उनसे दूरी बर्दाश्त नहीं कर पाए. इस प्रेम पीड़ा में तुलसीदास एक ऐसा काम कर बैठे जिससे उनकी पत्नी नाराज हो गईं।
उफनती( ufnati) नदी को पार करने का खतरा
श्रावण मास की एक रात जब बारिश, कड़कड़ाती बिजली और तूफान आया तो तुलसीदास को रत्नावती की याद सताने लगी। पत्नी से मिलने की चाहत में तुलसीदास गंगा नदी के तट तक तो पहुंच गए, लेकिन उफनती नदी को पार करने का खतरा उठाने वाला एक भी नाविक उन्हें नहीं मिला।
अयोध्या में संवत 1561 में माघ शुक्ल पंचमी ( shukl panchami)
स्वामी नरहर्यानन्द जी ने उनका नाम रामबोला रखा और अयोध्या में संवत 1561 में माघ शुक्ल पंचमी के दिन यज्ञोपवीत कराया। बिना सिखाए ही रामबोला ने गायत्री मंत्र का उच्चारण किया तो सब लोग चकित रह गए।रामबोला गुरुमुख से सुनी हुई बात एक बार में याद कर लेते थे सोरों में स्वामी नरहरि जी ने उन्हें राम चरित सुनाया।