मनेंद्रगढ़। जन जागृति मनेन्गढ़ द्वारा गोस्वामी तुलसीदास की जन्म जयंती समारोह आयोजित किया गया। उपस्थित जनों ने स्वामी जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला।
गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा अनेक अनेक ग्रंथों की रचना की गई है जिस में सर्वाधिक लोकप्रिय रामचरितमानस है जो भारत के जन-जन में भारत की आत्मा में बसा हुआ है
परंतु वह स्वामी जी को बहुत सरलता के साथ इतनी प्रसिद्धि इतना सम्मान प्राप्त नहीं हुआ जब इन्होंने रामायण के बाद देवनागरी लिपि में रामचरितमानस की रचना की तो तत्कालीन धर्म के ठेकेदारों ने इनका तरह तरह से विरोध किया इनके जीवन काल में इनका बहिष्कार किया गया
इनके साहित्य को जलाया गया और धार्मिक स्थानों से रामचरितमानस को पृथक किया गया। आज जब स्वामी के रामचरितमानस की एक-एक चौपाई पर विभिन्न प्रकार के शोध कार्य हो रहे हैं
लोग डॉक्टर प्राप्त कर रहे हैं और समाज का एक वर्ग इन अपना आराध्य मानता है इनका अनुयाई कहलाने में गर्व महसूस करता है मानता है।
जागृति मनेन्दगढ़ के सचिव संतोष कुमार जैन ने जानकारी देते हुए बताया कि मनेंद्रगढ़ नगर की एक संस्था तुलसी मानस परिवार द्वारा 13 अगस्त 2013 को गो स्वामी तुलसी के जन्म जयंती महोत्सव पर एक तुलसी मानस सेवा पुरस्कार देने की घोषणा हुई थी
इस अवसर पर आयोजन समिति के सदस्यों ने एकमत होकर भाई अजीमुद्दीन अंसारी उर्फ गुड्डा भैया को इस पुरस्कार के योग्य समझा था
जिसका सम्मान पत्र सार्वजनिक किया जा रहा है यह बतलाता है कि मनेंद्रगढ़ में गंगा जमुनी तहजीब शुरू से रही है विभिन्न धर्मों के अनुयाई सदैव एक दूसरे के धर्म का अनुपालन करते हैं परस्पर संवाद सहिष्णुता रहती है।