पिछले साल नवंबर( November) में चीन ने भारतीय सीमा पर H-6K नामक स्ट्रैटजिक बॉम्बर तैनात किया था। उस समय भारत के पास चीन के इस हथियार का कोई तोड़ नहीं था।
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स्ट्रैटजिक बॉम्बर ऐसे जेट होते हैं, जो पलक झपकते ही दुश्मन के घर में जाकर बम या मिसाइल गिराकर वापस लौट आते हैं। स्ट्रैटजिक बॉम्बर की खासियत ही होती है ‘कहीं भी कभी’ हमला करने में सक्षम। भारत के पास ऐसे बॉम्बर आने से उसके लिए बालाकोट जैसी एयर स्ट्राइक( air strike)करना आसान हो जाएगा।
भारत के पास क्यों नहीं हैं स्ट्रैटजिक बॉम्बर?
चीन के साथ सीमा पर जारी तनाव को देखते हुए भारत की इस डील को करने की संभावनाएं बढ़ गई हैं। इससे पहले 1970 के दशक में सोवियत रक्षा मंत्री सर्जेई गोर्शाकोव के Tu-22 बैकफायर बॉम्बर देने के ऑफर को भारतीय एयरफोर्स ने ठुकरा दिया था।
अक्सर सीमा पार करके दुश्मन के घर में घुसकर
एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत के पास स्ट्रैटजिक बॉम्बर न होने की एक बड़ी वजह ये भी है कि इन बॉम्बर का इस्तेमाल अक्सर सीमा पार करके दुश्मन के घर में घुसकर करना पड़ता है। भारत की ऐसी कोई महत्वाकांक्षा नहीं रही है।
Tu-160 बॉम्बर एयरक्राफ्ट खरीदने के लिए वार्ता अंतिम चरणों
भारत, रूस से दुनिया( world) के सबसे घातक स्ट्रैटेजिक बॉम्बर Tu-160 को खरीदने जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि रूस से कम से कम छह Tu-160 बॉम्बर एयरक्राफ्ट खरीदने के लिए वार्ता अंतिम चरणों में है। हालांकि, इस पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है।