हमें अगर किसी के बारे में ‘सब कुछ’ मालूम हो और फिर उस शख्सियत के बारे में ‘कुछ’ लिखना पड़े तो यह सबसे मुश्किल होता है। लिखने वाला सोचता है कि आखिर वह क्या परोस दूं जो ताजा और नया लगे। आज हम बात कर रहे है गुलजार साहब की
गुलजार की आवाज में सोशल मीडिया पर मौजूद शायरी सुनकर लोगों के कदम थम जाते हैं। उनकी आवाज का ही जादू है कि 18 साल का जवान और 80 साल का बुजुर्ग दोनों साथ में बैठकर गुलजार की नज़्में सुनते हैं और सराहते हैं। यह गुलजार साहब की लोकप्रियता ही है कि वह मचों पर जब नज़्म पढ़ते हैं तो चुपचाप-ख़ामोश होकर सिर्फ उन्हें ही सुनते हैं।
ऐश्वर्य बच्चन अभिनीत फिल्म ‘बंटी बबली’ में ‘कजरारे-कजरारे’ गीत में ‘बल्लीमारान की गलियों’ का
ग़ज़लों, नज़्मों और फिल्मों गीतों में भी दिल्ली के गलियों का जिक्र हुआ है। डेढ़ दशक पहले आई अमिताभ बच्चन, अभिषेक बच्चन और ऐश्वर्य बच्चन अभिनीत फिल्म ‘बंटी बबली’ में ‘कजरारे-कजरारे’ गीत में ‘बल्लीमारान की गलियों’ का जिक्र है। पूरी गीत सुनियो तो आपको लगेगा कि गीत में बल्लीमारान की गलियों का जिक्र अनायास ही नहीं होता है।
दिल्ली के एक स्कूल में पढ़ते थे
दिल्ली के 1000 साल के इतिहास में बहुत सी शख्सियतें हैं कुछ लुभाती तो कुछ डराती हैं, लेकिन शायर मिर्जा गा़लिब वह शख्स हों जो लोगों के भीतर समा गए हैं। दिल्ली में रहने के दौरान गुलजार साहब भी मिर्जा ग़ालिब से अलग ना रख सके और उनकी शायरी से इश्क कर बैठे। गुलजार साहब की मानें तो वह जब दिल्ली के एक स्कूल में पढ़ते थे तो उन्हें उर्दू के प्रति गहरा लगाव हो गया।