मनुष्य प्राचीन काल से ही अंतरिक्ष और उसमें टिमटिमाते तारों को देखकर रोमांचित होता रहा है, और ब्रह्मांड के विषय में उत्सुकता प्राचीन काल से ही उसके मन में रही है, गैलीलियो के दूरबीन के निर्माण के बाद यह उत्सुकता कई गुना और बढ़ गई जब प्राचीन सिद्धांतों को आधुनिक विज्ञान नकार दिया !
अंतरिक्ष का ज्ञान और अनुभव दृश्य माध्यम पर निर्भर है, और सुदूर अंतरिक्ष में देखने की ललक में मनुष्य को बड़े से बड़े दूरबीन के निर्माण के लिए प्रेरित किया है ! पृथ्वी पर अनेकों स्थानों पर वृहद आकार के दूरबीन का निर्माण किया गया है, लेकिन जैसा कि हमें ज्ञात है पृथ्वी के चारों ओर घना वायुमंडल है, जो अंतरिक्ष से आने वाली प्रकाश किरणों को या तो रोक देता है या मोड़ देता है, साथ ही वायुमंडल में उपस्थित धूल के कणों के कारण अंतरिक्ष में स्पष्ट देखने में बाधा उपस्थित होती है !
इसी वायुमंडलीय बाधा को दूर करने और सुदूर अंतरिक्ष में घटित होने वाली खगोलीय घटनाओं स्पष्ट देखने के लिए नासा ने 1990 में अंतरिक्ष में एक दूरबीन की स्थापना की जिसका नाम है हबल टेलीस्कोप है जिसके बारे में पूरी दुनिया अच्छे से परिचित है !
1990 में अंतरिक्ष में स्थापित होने के बाद से इस ने सुदूर अंतरिक्ष की कई घटनाओं से हमें रूबरू कराया है 10 वर्षों की सेवा के लिए भेजा गया यह टेलीस्कोप कई सुधार के बाद लगभग 30 वर्षों से सेवा दे रहा है !
गत दशक में आधुनिक तकनीक के विस्तार ने नए अंतरिक्ष टेलीस्कोप की आवश्यकता निर्धारित कर दी, इसके बाद वर्ष 2007 से ही नए आधुनिक अंतरिक्ष टेलिस्कोप का प्रयास 2021 में तब सफल हुआ जब जेम्स वेब टेलीस्कोप का 25 दिसंबर 2021 को सफल लांच किया गया !
जेम्स वेब टेलीस्कोप को अंतरिक्ष में स्थापित किया गया है, इसकी सहायता से ब्रह्मांड के रहस्य को समझने के साथ ही ब्रह्मांड की गतिविधियों पर नजर रखा जा सकेगा, साथ ही इस दूरबीन की मदद से ब्रह्मांड की उत्पत्ति और बिगबैंक के बाद ब्रह्मांड की जटिलताओं को भी समझने का प्रयास किया जाएगा !
जेम्स वेब अंतरिक्ष दूरदर्शी एक प्रकार की अवरक्त अंतरिक्ष वेधशाला है, यह हबल अंतरिक्ष दूरदर्शी का वैज्ञानिक उत्तराधिकारी है, और आधुनिक पीढ़ी का दूरदर्शी है और यह अंतरिक्ष से मनुष्यों को वह दिखाएगा जो पृथ्वी पर रहकर देख पाना संभव नहीं है !
अंतरिक्ष में जेम्स वेब टेलिस्कोप की स्थिति
पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर लैंग्रेज बिंदु (L2) पर यह टेलीस्कोप स्थित है, यह स्थान इसे पृथ्वी की ओट में छुपाए रखेगा इस टेलिस्कोप के सामने पृथ्वी है और उसके सामने सूर्य जिससे सूर्य से आने वाले सौर तूफानों से पृथ्वी उसकी रक्षा करेगी !
यह टेलीस्कोप उस कक्षा में स्थापित है जहां सूर्य और पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण शक्ति समान हो जाती है, इसे ही लैंग्रेज बिंदु कहा जाता है,लैंग्रेज वह बिंदु है जहां दो आकाशीय पिंडों के गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से मुक्त होकर कोई तीसरा पिंड अंतरिक्ष में स्थिर रह सकता है, गणितज्ञ जोसेफ लुइ लैंग्रेज ने ऐसे पांच स्थानों के बारे में बताया था जो दो आकाशीय पिंडों के मध्य समान गुरुत्वाकर्षण वाले क्षेत्र होते हैं ! इन्हीं पांच स्थानों में से दूसरा स्थान जो L2 है वहां यह टेलीस्कोप स्थित है !
जेम्स वेब टेलीस्कोप को कब और कहां से प्रक्षेपित किया गया
टेलिस्कोप को 25 दिसंबर 2021 को एरियन 5 रॉकेट के द्वारा प्रक्षेपित किया गया, प्रक्षेपण स्थल फ्रेंच गुयाना का कोरु था, फ्रेंच गुयाना उत्तरी दक्षिण अमेरिकी देश है, जो पूरे विश्व के रॉकेट लॉन्चिंग का 30% का योगदान देता है, इस प्रकार इस देश की अर्थव्यवस्था ही रॉकेट लॉन्चिंग पर निर्भर है, बहरहाल जेम्स वेब टेलिस्कोप की बात करते हैं, तो इस टेलीस्कोप को प्रक्षेपित करने के बाद कई चरणों में इसकी कक्षा में इसे स्थापित किया गया जो एक अत्यंत जटिल प्रक्रिया थी साथ ही जोखिम भरी भी क्योंकि किसी भी चरण की विफलता अरबों डालर का नुकसान कर सकती थी !
जुलाई के प्रथम सप्ताह में अपनी कक्षा में पूर्णता स्थापित होने के बाद इसने सुदूर अंतरिक्ष की तस्वीरें पृथ्वी पर भेजनी शुरू की, इन हाई रेजोल्यूशन वाली फोटो जो अलग-अलग गैलेक्सी की है का अनावरण 12 जुलाई को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने किया ! इस प्रकार अपने प्रक्षेपण के 6 महीने बाद यह टेलीस्कोप अंतरिक्ष से अपनी सेवाएं प्रारंभ कर चुका है !
टेलिस्कोप का मुख्य उद्देश्य क्या है
जैसा कि हबल टेलीस्कोप के समय से ही हमें ज्ञात है कि, अंतरिक्ष में स्थापित टेलिस्कोप का मुख्य कार्य सुदूर अंतरिक्ष की सजीव फोटो खींच कर ब्रह्मांड के रहस्य पर से पर्दा उठाना है यह टेलीस्कोप भी इसका अपवाद नहीं है, इसके माध्यम से वैज्ञानिक आकाशगंगा के निर्माण और ब्रह्मांड के निर्माण को समझने का प्रयास करेंगे ! बिग बैंग के बाद ब्रह्मांड निर्माण की कई सिद्धांत या अनुमान है, परंतु सभी सिद्धांतों के कुछ ना कुछ अपवाद अवश्य हैं, इन अपवादो को समझने का प्रयास भी होगा साथ ही करोड़ों प्रकाश वर्ष दूर की घटनाओं को देखने का प्रयास करेंगे जब ब्रह्मांड का निर्माण हुआ था !
जेम्स वेब टेलीस्कोप का वजन और आकार
नासा की वेबसाइट पर इस टेलिस्कोप का सारा विवरण दिया गया है, उसके अनुसार JWST जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप का वजन 6500 किलोग्राम है, और इसका आकार एक टेनिस कोर्ट के बराबर है, और यदि सामने से देखें तो यह त्रिभुज के आकार का दिखाई देता है, इसकी लंबाई और चौड़ाई 70 फुट X 40 फुट है ! टेलिस्कोप पर लगे हुए दर्पण का डायमीटर 6.5 मीटर या 21.3 फीट के लगभग है, यह प्राथमिक दर्पण अट्ठारह हेक्सागोनल वर्गों में बटा हुआ है !लागत कितनी है
नासा के अनुसार अंतरिक्ष में स्थित टेलिस्कोप की कुल लागत 10 अरब डालर या वर्तमान के भारतीय रुपयों में 79 हजार करोड़ रुपए है !
इसमें नासा के अतिरिक्त यूरोपीयन स्पेस एजेंसी और कनाडियन स्पेस एजेंसी का भी सहयोग है ! इस टेलीस्कोप की लागत इसके महत्व को रेखांकित करती है ! यह लागत कई अंतरिक्ष कार्यक्रमों को मिला दे तो उससे भी कई गुना अधिक है, इस लागत का अधिकतम खर्च इस टेलीस्कोप को अंतरिक्ष में पहुंचाने का है ! साथ ही टेलीस्कोप को इस तरीके से डिजाइन किया गया है कि आगामी 10 वर्षों तक या जब तक यह सेवा में हो इसे किसी भी प्रकार की रिपेयर यह सर्विस की आवश्यकता ना हो क्योंकि यह पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर स्थित है, जहां इस टेलिस्कोप की मरम्मत संभव नहीं है !
टेलिस्कोप के निर्माण में किन धातुओं का प्रयोग हुआ है
JWST इस टेलीस्कोप में मुख्यता एलुमिनियम, बेरिलियम और गोल्ड धातु का प्रयोग किया गया है ! टेलिस्कोप का दर्पण बेरिलियम धातु से निर्मित है, जिस पर गोल्ड की परत चढ़ाई गई है, दर्पण के लिए बेरिलियम धातु के प्रयोग की मुख्य वजह यह है कि यह अन्य किसी धातु की तुलना में ज्यादा मजबूत और हल्का है, साथ ही बेरिलियम धातु पर कम या अधिक तापमान का ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता, जो कि अंतरिक्ष की एक मुख्य चुनौती है, इसके अलावा यह सुचालक और मैग्नेटिक प्रभाव से भी युक्त है !
कार्यप्रणाली के लिए विद्युत शक्ति :– दूरबीन की आवश्यक उपकरणों को शक्ति देने के लिए सोलर पावर का उपयोग किया गया है, वहीं इसे निश्चित स्थान और फोकस पॉइंट पर बनाए रखने के लिए प्रणोदक प्रणाली ( Propulsion system ) का प्रयोग किया गया है ! इस टेलिस्कोप की विधुत प्रणाली जटिल उपकरणो की सीरीज है !
टेलिस्कोप के लिए भारतीय योगदान :- विश्व के बड़े बड़े वैज्ञानिक अनुसंधान
या अंतरिक्ष अनुसंधान में भारतीयों का योगदान सर्वोपरि रहा है ! इस प्रकार के प्रोजेक्ट में भारतीयों ने अपनी प्रतिभा के बलपर एक विशेष स्थान प्राप्त किया है, तो वेब टेलिस्कोप के लिए भी भारतीय योगदान महत्वपूर्ण है, इस प्रोजेक्ट में मुख्यतः
तीन भारतीयों ने प्रमुख भूमिका निभाई है प्रथम नाम हाशिमा हसन का है जो JSWT की डिप्टी प्रोजेक्ट साइंटिस्ट है,
वही दूसरा नाम कल्याणी सुखात्मे का है, जो नासा की जेट प्रोपल्शन लैबोरेट्री में कार्यरत है, और इसके बाद नाम आता है
कार्तिक सेठ का जो एस्ट्रो फिजिक्स के जानकार है !
जेम्स वेब टेलीस्कोप की हबल से तुलना : – दोनों टेलिस्कोप की इस आधार
पर तुलना संभव नहीं है कि कौन सा बेहतर है, बल्कि दोनों में क्या असमानताएं हैं, इसकी चर्चा हम अवश्य कर सकते हैं !
स्वाभाविक रूप से दोनों की क्षमता और तकनीक में बड़ा अंतर है, जेम्स वेब टेलीस्कोप क्षमता के मामले में हबल
से कई गुना शक्तिशाली है वही तकनीक में हबल पुराना है !
टेलिस्कोप की पृथ्वी से दूरी की बात करें तो हबल 570 किलोमीटर दूर था, वही जेम्स वेब 15 लाख किलोमीटर दूर
है ! लेंस की क्षमता और डाटा भेजने की क्षमता के मामले में जेम्स वेब हबल से बहुत आगे इन सब खूबियों के साथ ही जेम्स
वेब का एक कमतर पक्ष यह भी है, कि इसे रिपेयर नहीं किया जा सकता जबकि हबल को कई बार किया गया था !
टेलिस्कोप की दुनिया में जेम्स वेब अब तक का सबसे अधिक शक्तिशाली टेलीस्कोप है !
यह अत्याधुनिक टेलीस्कोप 28 मेगाबाइट पर सेकंड की स्पीड से प्रतिदिन अधिकतम 60 मेगाबाइट डाटा पृथ्वी को भेज
सकता है !
कौन थे जेम्स वेब :– यह बड़ा महत्वपूर्ण है कि जेम्स वेब कौन थे !
इस टेलीस्कोप को जिनका नाम दिया गया है, तो जेम्स वेब नासा के प्रशासक थे जिन्होंने 1961 से 68 तक नासा
का नेतृत्व किया, उनके सफल नेतृत्व में नासा ने कई सफलतम अभियानों को पूरा किया, जिसमें बुध ग्रह तक प्रक्षेपण और
मानवीय अपोलो उड़ान प्रमुख है ! इनका जन्म 1906 में अमेरिका के उत्तरी कैरोलिना के टेली हो गांव में हुआ था, और
मृत्यु 1992 में हुई ! इस आधुनिक टेलिस्कोप के लिए जब प्रयास प्रारंभ हुए तब नासा ने इसका नाम (N G S T )
Next Generation Space Telescope रखा था ! वर्ष 2007 में इसका नाम बदलकर (J W S T )
James Webb Space Telescope रख दिया गया ! स्वाभाविक है इसके पीछे नासा की मंशा यह है कि, इस महान
व्यक्तित्व को और उनके कार्यों को इस टेलिस्कोप के माध्यम से याद रखा जाए !
Courtesy: NewsNext.