नदी का अस्तित्व बचाने दो राज्यों के ग्रामीणों ने किया पौधरोपण
जगदलपुर / छत्तीसगढ़ और ओडिशा के ग्रामीणों ने नदी किनारे किया एक साथ 80 हजार पौधों का रोपण
जगदलपुर। जिस नदी किनारे की जमीन पर खेती करने दो राज्यों के ग्रामीणों के बीच होड़ मची थी। वही ग्रामीण अब नदी को बचाने तथा उसे प्रवाहमय बनाए रखने नदी किनारे अस्सी हजार पौधों का रोपण किए। रविवार को छत्तीसगढ की तरह ओडिशा के लोग तो ओडिशा तट की तरफ छत्तीसगढ़ के ग्रामीणों ने पौधरोपण किया। इस मौके पर दोनों राज्यों के आठ गांवों के सैंकड़ों ग्रामीण नदी किनारे जुटे।
जिला मुख्यालय से लगभग साठ किमी दूर छत्तीसगढ़ और उड़ीसा की सीमा पर कुरंदी नदी है। नदी किनारे की जमीन पर कब्जा करने लोगों में होड़ मची थी इसलिए नदी का उद्गम क्षेत्र प्रवाहहीन हो चुका था। नदी को सूखते देख कर दोनों राज्यों के ग्रामीणों को अपनी गलतियों का अहसास हुआ। उन्होंने आपसी सहमति से नदी किनारे सघन पौधरोपण का निर्णय लिया। इसके चलते ही रविवार को ग्राम बड़कूना में कुरंदी नदी के उदगम क्षेत्र में छत्तीसगढ़ के संध करमरी, बदलावंड, सानदेवड़ा, आवराभांठा तो उड़ीसा के हिरलागुड़ा, बड़कूना, सीवनासोरा, बेड़ागुड़ा आदि गांवों के सैकड़ों ग्रामीणों ने विभिन्न 22 प्रजाति के अस्सी हजार पौधों का रोपण किया।
यह यह वृहद पौधरोपण विधिक एवं पर्यावरण कार्य संस्था लिफ तथा ग्रो ट्री मुंबई के संयुक्त प्रयास से संभव हो पाया है। इस वृहद पौधारोपण कार्य में किसी भी तरह की शासकीय मिशनरी की मदद नहीं ली गई है। लीफ संस्था के अध्यक्ष अर्जुन नाग ने बताया कि कुरंदी नदी के 10 किमी क्षेत्र में तटीय क्षेत्र में पौधरोपण किया जाना है। यह पौधरोपण कार्यक्रम लगातार तीन दिनों तक जारी रहा।