UP News : बरेली (Bareilly) का भरतौल आरओ का पानी ग्रामीणों के घर तक पहुंचाने वाला यूपी (UP) का पहला गांव बन गया है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तिकरण (Pandit Deendayal Upadhyay Panchayat Empowerment) और मुख्यमंत्री पंचायत प्रोत्साहन पुरस्कार हासिल करने वाले इस गांव में घरों के आसपास ग्राम निधि से 20 आरओ सिस्टम लगाए जा रहे हैं। अभी तक पांच सिस्टम लगाए जा चुके हैं। सभी पानी के टैंक से जोड़े गए हैं। ग्रामीण इन्हीं आरओ सिस्टम (RO system) से होकर आने वाले पानी का घरों में इस्तेमाल कर रहे हैं।
जाट रेजीमेंट से सटे भरतौल गांव की आबादी करीब सात हजार है। यहां प्रदेश का सबसे सुंदर पंचायत सचिवालय बना है। गांव को पंचायती राज व्यवस्था को बेहतर ढंग से लागू करने के मामले में पिछले वित्तीय वर्ष में पंडित दीनदयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तिकरण और मुख्यमंत्री पंचायत प्रोत्साहन पुरस्कार मिले हैं।
इनमें 12-12 लाख की पुरस्कार राशि ग्राम पंचायत के विकास के लिए दी गई थी। ग्राम प्रधान प्रवेश कुमारी ने ग्राम निधि से आरओ के पीने के पानी का इंतजाम किया है। प्रति आरओ 75 हजार की लागत आई है। घरों के आसपास सार्वजनिक स्थानों पर इन्हें लगाया गया है। सिस्टम के लिए बिजली आपूर्ति का इंतजाम भी किया गया है।
क्या है आरओ?
रिवर्स ऑस्मोसिस (आरओ) जल उपचार प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया के दौरान, दूषित पदार्थों को फिल्टर किया जाता है और स्वच्छ पीने के पानी को छोड़कर अन्य दूषित पदार्थ को हटा दिया जाता है।
इंग्लिश मीडियम सरकारी स्कूल से प्रदेश में पहचान
भरतौल गांव की इंग्लिश मीडियम प्राथमिक स्कूल की वजह से प्रदेश में अलग पहचान है। सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले गांव के बच्चे अंग्रेजी में बातचीत करते हैं। बरेली मंडल के सबसे अच्छे कम्युनिटी टॉयलेट भी भरतौल में ही बने हैं।
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सीसीटीवी की निगरानी में है पूरा गांव
गांव की सुरक्षा के लिए ग्राम पंचायत ने पंचायत सचिवालय से लेकर चौराहों तक पर सीसीटीवी लगवाए हैं। पंचायत सचिवालय से सीसीटीवी का कंट्रोल रूम बनाया गया है।
गांव की 40 फीसदी आबादी फौजियों की
भरतौल गांव जाट रेजीमेंट के करीब है। गांव में 850 मकान हैं। इनमें से 350 मकान फौजियों के हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों में तैनात काफी फौजियों के परिवार भरतौल गांव में रहते हैं।
कूड़ा कलेक्शन सेंटर में कांच-प्लास्टिक सब अलग
गांव में कूड़ा के एकत्र करने के लिए शेड बनाया गया है। डोर-डोर टू कूड़ा कलेक्शन की व्यवस्था है। ग्राम पंचायत के पास ट्रैक्टर-ट्रॉली के साथ-साथ ठेले भी रहते हैं। जो कूड़े को लेकर शेड में पहुंचते हैं। प्लास्टिक और कांच के साथ सूखा-गीला कूड़ा भी अलग किया जाता है।
ग्रामीणों को बेहतर बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने की कोशिश की जा रही है। पीने के पानी को लेकर दिक्कतें थीं। गांव में आरओ सिस्टम लगाए हैं। जरूरत के मुताबिक कुछ और आरओ सिस्टम लगाएंगे। साफ-सफाई को लेकर ग्रामीण जागरूक हैं।