दंतेवाड़ा। जिले के बारसूर की पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित शताब्दियों पुरानी प्रदेश के सबसे बड़े युगल श्रीगणेश की पाषाण प्रतिमा पूरे प्रदेश के श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र हैं।
प्रत्येक श्रद्धालु एक बार बारसूर के विशाल युगल महाकाय श्रीगणेशजी की प्रतिमाओं के चरणो में अवश्य शीश नवाना चाहता है। लेकिन पुरातत्व विभाग यहां विद्युत की व्यवस्था तक नहीं कर पाया है।
स्थानीय लोगों ने अपनी व्यवस्था से विद्युत सुविधा उपलब्ध कराई है जिससे रात्रि के समय दूर-दराज से पहुंचे श्रद्धालु दर्शन लाभ ले पाते हैं।
भारतीय पुरातत्व विभाग या छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल के द्वारा कोई व्यवस्था नहीं देने से स्थानीय श्रद्धालू ग्यारह दिनों तक पूजा-अर्चना की औपचारिकता पूरी करते चले आ रहे हैं
पिंटुराम पुजारी, अमृत नाग, विशाल पुजारी, संगीत पुजारी, संतु नाग, रविन्द्र, आकाश, योगेश, राजुराम, संजय जगत पुजारी, परदेशी पुजारी, भूवनेश्वर भारद्वाज ने बताया कि स्थानीय लोगों की मदद से वे ग्यारह दिनों तक पूजा-अर्चना की औपचारिकता पूरी करते चले आ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि, भारतीय पुरातत्व विभाग व छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल से अपेक्षा है कि जनभावनाओं का आदर करते हुए छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े श्रीगणेशजी की आगामी गणेश चतुर्थी के अवसर पर कम से कम तीन दिवसीय कार्यक्रम आयोजित करें
व मूलभूत सुविधाओं के विस्तार पर ध्यान दें, साथ ही धराशाई होने के कगार पर पहुंच चुके मंदिरों का जीर्णोद्धार करें तो यहां पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं, जिसका लाभ स्थानिय लोगों को भी होगा।