Balod News :छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बालोद जिले (Balod district) में एक ऐसे स्वयंभू गणेश (Swayambhu Ganesh) जहां गणेश चतुर्थी के 11 दिन नहीं बल्कि साल के 365 दिन भक्ति मय वातावरण (devotional atmosphere) में भक्तों का तांता लगा रहता है और भक्त अपनी मन की मुराद ले श्रद्धा के फूल चढ़ाने दूरदराज से पहुंचते हैं।
कहते है कि भगवान गणेश प्रतिमा की उत्पत्ति इसी स्थान पर 100 साल पहले हुई थी जिनकी आकृति दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही है। बालोद ही नहीं बल्कि दूर-दराज से भक्त आस्था के फूल चढ़ाने भगवान स्वयंभू के दरबार में पहुंच माथा टेकते हैं। मान्यता है कि स्वयंभू के दरबार में जो भी भक्त आस्था का फूल चढ़ा मन्नत मांगता है भगवान गणेश सहजता से उनकी मन्नत पूरी कर झोली भर देते है और निसंतान दंपत्ति के घर में संतान सुख की प्राप्ति होती है।
कहा जाता है की स्वयंभू गणेश की उत्पत्ति खुले आसमान के नीचे हुई थी जिसे देख एक बाफना परिवार अपनी आस्था की फूल चढ़ा मन्नत पूरी होने पर मंदिर बनाने वचन दिया था और जब उनके मन्नत पूरी हुई तो टिने की सेड से मंदिर का स्वरूप दिया गया धीरे-धीरे लोगों की आस्था बढ़ती गई। भक्तों की मुराद पूरी होती गई और अब दानदाता और भक्तों के सहयोग से आकर्षक मंदिर के साथ आस्था का केंद्र बन गया। जहां हर बुधवार को भक्तिमय वातावरण में महाआरती का आयोजन होता है इसके साथ ही 1 वर्ष पूर्व समिति द्वारा महा प्रसादम के नाम से 30 रुपये में भरपेट भोजन खिलाने की व्यवस्था शुरू की गई है जहां प्रतिदिन 300 से अधिक लोग प्रसाद ग्रहण कर अपनी भूख मिटाने पहुंचते हैं।