दंतेवाड़ा : छत्तीसगढ़ के दक्षिण बस्तर में किरंदुल-विशाखापट्टनम पैसेंजर और नाइट एक्सप्रेस ट्रेनों के पहिए एक बार फिर से थम गए हैं। नक्सल दहशत की वजह से 10 सितंबर तक दोनों यात्री ट्रेनें किरंदुल तक नहीं जाएगी।
ट्रेनों का अंतिम स्टॉपेज दंतेवाड़ा स्टेशन होगा। ऐसे में एक बार फिर से यात्रियों की परेशानी बढ़ गई है। ईको ( ईस्ट कोस्ट) रेलवे ने सुराक्षागत कारणों के चलते आदेश जारी किया है।
रेलवे सूत्रों के मुताबिक, छ्त्तीसगढ़ के पड़ोसी राज्यों में नक्सली अपना कुछ आयोजन कर रहे हैं। जिसको लेकर पर्चा भी जारी किया है। इसी वजह से रेलवे ने यात्री ट्रेनों के परिचालन पर ब्रेक लगा दिया है।
ईको रेलवे मंडल के सीनियर डिवीजनल कॉमर्शियल मैनेजर एके त्रिपाठी ने बताया कि ट्रेन नुंबर 18514 विशाखापट्टनम से चलकर किरंदुल जाने वाली ट्रेन 8 सितंबर को दंतेवाड़ा में ही रोक दी जाएगी।
वहीं 18513 किरंदुल से विशाखापट्टनम चलने वाली यही ट्रेन 8 और 9 सितंबर को किरंदुल की बजाए दंतेवाड़ा से चलकर विशाखापट्टनम तक दौड़ेगी।
08551 विशाखापट्टनम-किरंदुल स्पेशल ट्रेन 8 और 9 सितंबर को दंतेवाड़ा में रोक दी जाएगी। जबकि 9 और 10 सितंबर को 08552 किरंदुल-विशाखापट्टनम चलने वाली यह ट्रेन किरंदुल की बजाए दंतेवाड़ा से प्रारंभ होगी।
उन्होंने बताया कि, रेलवे सुरक्षागत कारणों का हवाला देकर केके और केआर रेललाइन पर चलने वाली यात्री ट्रेनों का परिचालन इसी तरह से परिवर्तित करता रहता है।
बासनपुर-झिरका संवेदनशील इलाका
दरअसल, किरंदुल-विशाखापट्टनम रेल मार्ग पर दंतेवाड़ा से किरंदुल स्टेशन के बीच बासनपुर-झिरका के घने जंगल में माओवादी ज्यादातर रेल पटरियों को उखाड़ ट्रेनों को डिरेल करते हैं।
साल 2021 में भी इसी जगह माओवादियों ने एक यात्री ट्रेन को डिरेल किया था। हालांकि, रफ्तार कम होने की वजह से कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ था।
मालगाड़ियों को भी कई दफा अपना निशाना बना चुके हैं। यही वजह है कि जब-जब नक्सल संगठन की तरफ से कोई भी दिवस मनाया जाता है तो यात्री ट्रेनों को दंतेवाड़ा आने से पहले जगदलपुर में ही रोक दिया जाता है।
इस साल इतने दिन नहीं हुआ परिचालन
- जनवरी महीने में 7 दिन और फरवरी में सिर्फ एक दिन ट्रेन नहीं चली है।
- नक्सली बंद की वजह से 10 मार्च से 15 मार्च के बीच ट्रेनों का परिचालन बंद रहा।
- 23 मार्च से 29 मार्च तक नक्सलियों के साम्राज्यवाद विरोधी सप्ताह के तहत किरंदुल तक ट्रेनें नहीं पहुंची।
- 25 अप्रैल को माओवादियों ने दंडकारण्य बंद का आह्वान किया था। जिसके चलते 23 अप्रैल से 26 अप्रैल तक यात्री ट्रेनें नहीं चली।
- 28 अप्रैल से 6 मई के बीच ब्रिज के मेंटेंसन कार्य को लेकर ट्रेनों का परिचालन रोक दिया गया। यह तारीख बढ़ कर 12 मई हो गई थी।
- जून माह में अग्निपथ विरोध के चलते 19 और 20 जून को ट्रेन बंद रही।
- इसके अलावा 26 जून से 2 जुलाई तक माओवादियों के आर्थिक नाकेबंदी सप्ताह को देखते ट्रेनों के पहिए थमे थे।
- 28 जुलाई से 3 अगस्त तक नक्सलियों के शहीदी सप्ताह को देखते हुए ट्रेन के पहिए थम गए थे।
- 15 और 16 अगस्त को भी ट्रेन का परिचालन रोक दिया गया था।