NEET : ओडिशा के एक दिहाड़ी मजदूर की बेटी अमृता साहू (amrita sahu) और वंचित परिवारों के 19 अन्य बच्चों ने एक परर्मार्थ संगठन की मदद से नीट परीक्षा में सफलता हासिल की है। इन सफल 20 छात्रों में से 15 एमबीबीएस (MBBS) कोर्स में दाखिला पाने के लिए तैयार हैं, जबकि पांच अन्य बीडीएस (BDS) कोर्स के लिए पात्र होंगे। अमृता के पिता ने कहा कि आर्थिक तंगी के कारण वह अपनी बेटी के लिए मेडिकल कोचिंग की व्यवस्था नहीं कर सके, लेकिन ‘जिंदगी फाउंडेशन’ ने अमृता की नीट की तैयारी की पूरी जिम्मेदारी ली। जाजपुर जिला निवासी अमृता के पिता अक्षय कुमार साहू (Akshay Kumar Sahu) ने कहा, ”परिवार का भरण-पोषण करना भी मुश्किल था। ऐसे में जिंदगी फाउंडेशन ने नीट की तैयारी की पूरी जिम्मेदारी ली। अमृता ने नीट में 636 अंक हासिल किए।”
ओडिशा के केंद्रपाड़ा जिले के एक दिहाड़ी मजदूर के बेटे जगन्नाथ गिरि ने नीट में 635 अंक हासिल कर डॉक्टर बनने के अपने सपने की ओर कदम बढ़ाया है। जगन्नाथ गिरि ने कहा, ”कभी-कभी हमारे परिवार को बिना खाना खाए सोना पड़ता है। मैं कभी-कभी अपने परिवार की खातिर कुछ अतिरिक्त पैसे कमाने के लिए अपने पिता के साथ खेतों में काम करता हूं। जिंदगी फाउंडेशन के मार्गदर्शन और कड़ी मेहनत से मैं यह सब कर पाया हूं।”
एक वक्त का भोजन जुटा पाना ही चुनौती
ढेंकनाल के मलय कुमार प्रधान की भी कहानी कुछ ऐसी ही है। मेडिकल कोचिंग उनके लिए एक सपने की तरह थी क्योंकि हर दिन एक वक्त का भोजन प्राप्त करना ही उनके लिए एक चुनौती थी। लेकिन मलय ने अपने लक्ष्य को कभी नहीं छोड़ा। नीट में 634 अंक हासिल कर मलय ने बड़ी कामयाबी हासिल की है और डॉक्टर बनने की दिशा में कदम बढ़ाया है।
अपने इलाके में डॉक्टर बनकर सेवा करने का सपना
मयूरभंज जिले के नारायण टुडी ने कहा कि वह डॉक्टर बनने की इच्छा रखते हैं क्योंकि उनके पैतृक स्थान ठाकुरमुंडा में कोई डॉक्टर नहीं है। उन्होंने कहा, ”मैंने 10वीं बोर्ड में 80 फीसदी और 12वीं बोर्ड में 79 फीसदी अंक हासिल किए हैं। फिर भी, मुझे अपने सपनों को पूरा करने के तरीके नहीं मिल रहे थे।” उन्होंने कहा कि उनका गांव एक वन क्षेत्र में था। हालांकि, एक दोस्त से सूचना पाकर वह भुवनेश्वर आए और जिंदगी फाउंडेशन के अजय बहादुर सिंह से मिले और अब वह किसी भी सरकारी मेडिकल कॉलेज में प्रवेश पाने के लिए तैयार हैं।
जिंदगी फाउंडेशन ने मेधावी गरीब छात्रों को लिया तथा उनके रहने, खाने की व्यवस्था की, अध्ययन सामग्री प्रदान की और उन्हें अखिल भारतीय चिकित्सा प्रवेश परीक्षा को उत्तीर्ण करने के गुर सिखाए। शिक्षाविद अजय बहादुर सिंह द्वारा संचालित जिंदगी फाउंडेशन के 21 छात्रों में से कम से कम 20 छात्रों ने इसे संभव कर दिखाया है, जो अपनी खराब आर्थिक पृष्ठभूमि के कारण चिकित्सा शिक्षा से चूक रहे थे।